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बलिया

जनांदोलन से ही हुआ लोकतंत्र का जन्म : जय प्रकाश

-विचार गोष्ठी
-देश में आज भी है अघोषित आपातकालः अनिल यादव

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-लोकनायक जयप्रकाश नारायण जयंती की पूर्व संध्या पर पीयूसीएल की ओर से विचार गोष्ठी व श्रद्धांजलि सभा
बलिया : विश्व में लोकतंत्र की स्थापना ही जनांदोलन से हुई। फ्रांस में क्रांति के बाद विश्व में लोकतंत्र की स्थापना हुई। उस समय स्थापित लोकतंत्र में जनना, पैतृक, धार्मिक, क्षेत्रीय भावनाओं को महत्व न देकर मनुष्यता को महत्व दिया गया। आज के लोकतंत्र में इन सभी चीजों को महत्वहीन कर दिया गया है।
यह उद्गार अखिल भारतीय किसान महासभा के अध्यक्ष जयप्रकाश नारायण के हैं। वे रविवार को बापू भवन टाउन हॉल में लोक स्वातंत्रय संगठन (पीयूसीएल) की ओर से आयोजित विचार गोष्ठी व श्रद्धांजलि सभा को संबोधित कर रहे थे। कहा कि भारत में जन आंदोलनों के जनक जयप्रकाश नारायण थे। उन्होंने पूरे देश में कई जन आंदोलनों का नेतृत्व किया और उन्हें मंजिल तक पहुंचाया। उन्हीं के नक्शे कदम पर चलने वाले चितरंजन सिंह ने भी पूरे जीवन को जन आंदोलनों के नाम कर दिया। चितरंजन ने अपने पूरे जीवन में जिस तरह जन आंदोलनों को समर्पित किया वह उन्हें भी जेपी के समकक्ष खड़ा करती है। आज के लोकतंत्र में हमें मनुष्य नहीं संख्या के रूप में बदल दिया गया है। लोकतंत्र की मूल परिकल्पना जिसमें अपनी स्वतंत्रता के साथ ही दूसरों की स्वतंत्रता का पूर्णतया ख्याल रखना होता है, अब पूरी तरह से समाप्त हो गई है।
दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार अनिल यादव ने कहा कि जेपी के समय घोषित आपातकाल था और आज देश में अघोषित आपातकाल में नागरिकों के संवैधानिक अधिकार पर संकट है। इसलिए सभी को संविधान पढ़ना और जानना पड़ेगा। भारत में इस समय राजनीतिक एवं सामाजिक बदलाव के लिए कई जन आंदोलन चल रहे हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ भी देश में पिछले 10 माह से किसान सड़कों पर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है। नोटबंदी, कोविड आपातकाल अथवा कृषि कानून लागू करने में लोकतंत्र का माखौल उड़ाते हुए बिना किसी की राय लिए देश की जनता पर थोप दिया गया। कृषि कानून में बदलाव कारपोरेट घरानों की मर्जी से किया गया है।

विषय प्रवर्तन करते हुए पीयूसीएल के जिला अध्यक्ष रणजीत सिंह एडवोकेट ने संविधान और देश में चलने वाले कई जन आंदोलन पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेंट्रल बैंक स्टाफ एसोसिएशन के अध्यक्ष के इन उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम के पहले सत्र दीप प्रज्वलन व पुष्पांजलि का संचालन वरिष्ठ पत्रकार मनोरंजन सिंह व दूसरे सत्र विचार गोष्ठी का संचालन गोपालजी सिंह ने किया। इस मौके पर जेपी सिंह, उदय नारायण सिंह, हरि मोहन सिंह, असगर अली, पंकज राय, अनिल सिंह, अजय सिंह, बृजेश राय, श्रीप्रकाश सिंह, विश्राम यादव, सुरेंद्र सिंह, यशपाल सिंह, हंसराज तिवारी, राज नारायण यादव, अखिलानंद तिवारी, सुनील सिंह शशिकांत ओझा आदि उपस्थित रहे।


जामुन के पेड़ ने किया सरकारी तंत्र पर करारा चोट


बलिया : बापू भवन टाउन हॉल में पीयूसीएल की ओर से आयोजित कार्यक्रम में संकल्प संस्था के कलाकारों ने ‘जामुन के पेड़ नाटक’ का मंचन किया। इस नाटक के माध्यम से सरकारी तंत्र पर करारी चोट की गई। नाटक के अनुसार सचिवालय में जामुन का एक पुराना पेड़ एक व्यक्ति पर गिर जाता है जो जिंदा बचा रहता है, लेकिन सरकारी तंत्र में दौड़ रही फाइलें उसकी मौत का कारण बन जाती हैं। जब तक उसे पेड़ के नीचे से निकाला जाता है, उसकी मौत हो जाती है। इस नाटक ने हाल में बैठे सभी लोगों को भावविभोर करने के साथ ही उन्हें झकझोर कर रख दिया।

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