बलिया : कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा व तमसा के संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाकर महर्षि भृगु व दर्दर मुनि के साथ बाबा बालेश्वर के दरबार में मत्था टेका।
स्नान के बाद लोग परिवार व संगे संबंधियों के साथ मंदिर पर पहुंचते रहे। बुर्जुग दम्पत्ति एक-दूसरे का हाथ थामे चल रहे थे। किसी के सिर पर गठरी थी तो किसी के हाथ में झोला। आस्था की डगर पर श्रद्धा की अलौकिकता देखते ही बनी। जगह-जगह शिविर लगे थे, जहां से श्रद्धालुओं को सुरक्षा व संरक्षा सम्बंधित जानकारी दी जा रही थी।
भूले-बिसरों को मिलाने के साथ ही श्रद्धालुओं को चाय-पानी कराया जा रहा था। पुलिस कर्मी भी भूले-बिसरे लोगों को अपनों से मिलवा रहे थे।इसके साथ ही ऐतिहासिक ददरी मेला का मीना बाजार भी शुरू हो गया। पौराणिक काल से ही भृगुक्षेत्र में कार्तिक पूर्णिमा को जन समागम की अलौकिक परंपरा चली आ रही है। गुरुवार की दोपहर बाद से ही आस्थावानों का रेला महर्षि भृगु की धरा पर पहुंचने लगा था, जो शुक्रवार को दिनभर जारी रहा। संगम तट पर श्रद्धालुओं ने पूरी रात कल्पवास किया। रात 02 बजे के बाद लोग डुबकी लगाने लगे। गंगा स्नान का यह क्रम टूटने का नाम ही नहीं ले रहा था। प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। सिटी मजिस्ट्रेट प्रदीप कुमार, सीओ भूषण वर्मा व सदर कोतवाल बालमुकुंद मिश्रा लगातार चक्रमण करते रहे। वहीं, लोगों की मदद पुलिस कर्मी भी करते रहे। पुलिस अधीक्षक राजकरन नय्यर, एएसपी विजय त्रिपाठी, सीओ सिटी भूषण वर्मा पूरी तरह से मुस्तैद थे। ऐतिहासिक ददरी मेला के मीना बाजार में शुक्रवार को पूरी तरह से गुलजार रहा। गंगा स्नान के बाद मेले में पहुंचे लोगों ने जमकर मेले का लुफ्त उठाया। चाट-छोला व जलेबी की दुकानों पर भीड़ रही। बच्चों ने जहां खिलौने की खरीदारी की, वहीं महिलाएं श्रृंगार व घरेलू सामान की। लोग झूला व चर्खी का भी आनंद लिये। ब्रेक डांस पर युवाओं की भीड़ दिखी। नगर पालिका परिषद की तैयारी अभी भी अधूरी है। इससे लोगों को परेशानी भी हुई। पहला दिन होने के कारण कुछ दुकानदार अपनी दुकानों को सजाते-संवारते नजर आए। उन्हें पहले दिन दुकान नहीं खोल पाने का मलाल रहा।