Advertisement
Sunbeam 23-24
logic systems
sunbeam 23-24
logic systems
previous arrow
next arrow

7489697916 for Ad Booking
बलिया

विश्वविद्यालय में समावेशी विकास में पर्यटन की उपादेयता विषयक आनलाइन संगोष्ठी

-जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय
-गोष्ठी में ज्ञाताओं ने बताया महत्व, विशेषज्ञों को सुन लाभान्वित हुए सभी


बलिया : विश्व पर्यटन दिवस पर जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय द्वारा ” समावेशी विकास में पर्यटन की उपादेयता ” विषय पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में गोष्ठी को प्रो अतुल कुमार त्रिपाठी, आचार्य एवं अध्यक्ष, कला इतिहास एवं पर्यटन प्रबंधन विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने संबोधित किया।
कहा कि मूर्त व अमूर्त कला विरासत को सहेजने की जरूरत है। विलुप्त होती भाषाओं, व्यंजनों, लोक संस्कृति को बचाने के साथ इसे पर्यटन से जोड़ा जा सकता है। पर्यटन इस प्रकार स्थानीय संस्कृति को संरक्षित करने के साथ हाशिये के लोगों के विकास में अपना योगदान दे सकता है। विशिष्ट अतिथि डाॅ सुभाष चन्द्र यादव, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी, वाराणसी ने बताया कि बलिया जनपद में 100 से भी अधिक पुरातात्विक स्थल हैं, जहाँ अतीत में एक विकसित मानव संस्कृति के प्रमाण मिलते हैं। कुषाण काल में खैराडीह में व्यवस्थित नगर संरचना, सीवेज सिस्टम आदि के प्रमाण प्राप्त हैं। राम वन गमन के प्रसंगों से बलिया के विभिन्न क्षेत्र जुड़े हुए हैं। वाल्मीकि से जमदग्नि तक की ऋषि परंपरा से भी बलिया के विभिन्न स्थल जुड़े हुए हैं। दुर्भाग्य से इन स्थलों का संरक्षण नहीं हो पाया है। इन स्थलों के पुरातात्विक महत्त्व को दर्शाते हुए लेखन कर बलिया को एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो कल्पलता पांडेय ने कहा कि पर्यटन विश्व की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। पर्यटन के विविध आयाम हैं जो रोजगार सृजन में अपना योगदान देते हैं। बलिया का अतीत सांस्कृतिक रूप से गौरवपूर्ण रहा है। साहित्यकारों, क्रांतिकारियों, ऋषियों की सुदीर्घ परंपरा यहाँ मिलती है। इस परंपरा को सहेजने की जरूरत है। इसे पर्यटन के द्वारा संरक्षित किया जा सकता है और बलिया को पर्यटन के एक अंतरराष्ट्रीय केन्द्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। विश्वविद्यालय इस दिशा में अपना पूरा प्रयत्न करेगा। बलिया के निवासी भी इस उद्देश्य को पूरा करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देंगे, ऐसी अपेक्षा है।
गोष्ठी में अतिथि स्वागत व विषय प्रवर्तन शैलेंद्र कुमार सिंह, प्राध्यापक, मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास ने, संचालन डाॅ प्रमोद शंकर पांडेय ने तथा धन्यवाद ज्ञापन शैक्षणिक निदेशक डाॅ गणेश कुमार पाठक ने किया।
गोष्ठी में डाॅ अशोक कुमार सिंह, प्रो रामेश्वर प्रसाद सिंह, आभा पाठक, मोनालिसा सिंह, डाॅ मनीषा सिंह आदि विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के प्राध्यापकों, शोधार्थियों तथा परिसर के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।

Advertisement
lalzhari devi mahavidyalaya
r-k-mission
lalzhari-devi-mahavidyalaya
previous arrow
next arrow

7489697916 for Ad Booking
Advertisement
mditech-seo
creative-digital-marketing-agency
mditech-seo
creative-digital-marketing-agency
previous arrow
next arrow

9768 74 1972 for Website Design