
-नौरंगा पीपा पुल
-बनने का निर्धारित समय है 15 अक्टूबर, अभी तक नहीं हुआ निर्माण का टेंडर
-हजारों लोगों को तहसील मुख्यालय से जोड़ने वाला पुल कब तक बनेगा पता नहीं
बलिया : किसी भी क्षेत्र में अगर सुविधाओं का अभाव हो और जनप्रतिनिधि विपक्ष का होता है तो दोष सरकार पर मथ दिया जाता है। पर यदि जनप्रतिनिधि भी सरकार का हिस्सा हो तो क्या कहा जाए। विधानसभा क्षेत्र बैरिया की यही स्थिति है। प्रदेश के अंतिम छोर पर बसा नौरंगा गांव के लोग तहसील मुख्यालय पर आने के लिए विवश हैं क्योंकि पीपा का पुल अब तक नहीं बन पाया है। पुल के निर्माण की निर्धारित तिथि 15 अक्टूबर ही है।

शासनादेश के अनुसार नौरंगा पीपा पुल का अस्तित्व 15 अक्टूबर से 15 जून तक है। एक महीने बाद भी इस वर्ष निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। इस चुनावी समय में इसके पीछे ग्रामीण विभागीय लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बैरिया तहसील क्षेत्र के गंगा उस पार उप्र का अन्तिम गांव नौरंगा को जोड़ने के लिए पिछले दो दशक से यहां पीपा पुल गंगा पर लोक निर्माण विभाग बनाता है। नियमानुसार 15 अक्टूबर तक पीपा पुल बन जाना चाहिए और 15 जून को उसे विभाग को खोल लेना चाहिए। किंतु पिछले पांच छः वर्षों से कभी भी पीपा पुल समय से नहीं बना। कभी दिसंबर में तो कभी जनवरी में पीपा पुल बनता है। और 15 जून को खुल निश्चित ही जाता है। इस साल भी अभी तक पीपा पुल बनाने की कोई प्रक्रिया मौके पर नहीं दिख रही है । फलस्वरुप गंगा उस पार के उत्तर प्रदेश के 30 हजार की आबादी को अपने तहसील मुख्यालय थाना व अन्य कार्यों के लिए बैरिया रानीगंज आने में काफी परेशानी हो रही है। इस संदर्भ में जिम्मेदार अधिकारी भी समय से पीपा पुल बनवाने में लापरवाही कर रहे हैं। विभागीय जिम्मेदारों का कहना है कि अभी तक टेंडर ही नहीं हुआ है पर क्यों नहीं हुआ है यह बताने को कोई तैयार नहीं है।
