Advertisement
7489697916 for Ad Booking
बलिया

वरिष्ठ रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह को जीवंत

-नाटक की प्रस्तुति
-फांसी दिवस पर प्रस्तुति कर दिया लोगों के दिल में फिर जिंदा हो गए भगत सिंह

Advertisement
7489697916 for Ad Booking

बलिया : शहीद-ए-आज़म भगत सिंह को मंच पर जनपद के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने एक बार फिर जीवंत किया। अपने शानदार अभिनय से लोगों का मन जीतने वाले आशीष ने मंच पर अभिनय का एक नया प्रतिमान स्थापित कर दिया, जिसके आयाम (आंगिक, वाचिक, आहार्य और सात्विक) के बेजोड़ संगम लोग टकटकी लगाकर देखते रहे। लगभग चालीस मिनट की इस प्रस्तुति में लोग भगत सिंह के विचारों के साथ बहते नजर आये।

कलाकार के चेहरे पर बनने वाली भाव भंगिमाओं के साथ दर्शकों के चेहरे का भी भाव बदलता रहा। प्रस्तुति में दिखाया गया भगत सिंह पैदा नहीं होते, बल्कि भगत सिंह को भगत सिंह परिस्थितियां बनाती हैं। शर्त यह है कि मनुष्य के पास परिस्थितियों को समझने की गहरी दृष्टि होनी चाहिए। पढ़ाकू भगत सिंह, लड़ाकू भगत सिंह, जीवन की रंगिनियों से ओत प्रोत भगत सिंह के हर पहलू को शानदार तरीके से इस एकल नाट्य प्रस्तुति में दिखाया गया। नाटक में दिखाया गया कि भगत सिंह के विचार आज भी कितने प्रासंगिक हैं उनका एक संवाद कि “आजादी जरूरी नहीं, आजादी के बाद का हिंदुस्तान जरूरी है और कहीं ये ग़लत तरीके से मिल गई तो कहने में हिचक नहीं कि आज से सत्तर साल बाद भी हालात ऐसे के ऐसे रहेंगे गोरे चले जाएंगे भूरे आ जाएंगे।

कालाबाजारी का साम्राज्य होगा। घूसखोरी सर उठाकर नाचेगी, अमीर और अमीर होते जाएंगे गरीब और गरीब, धर्म जाति और ज़ुबान के नाम पर इस मुल्क में तबाही का ऐसा नंगा नाच शुरू होगा, जिसको बुझाते-बुझाते आने वाली सरकारों और नस्लों की कमर टूट जाएगी।

Advertisement
7489697916 for Ad Booking