-गायत्री शक्तिपीठ प्रभारी की प्रेसवार्ता
-वेदमाता गायत्री की महत्ता और कार्यक्रम के विवरण को विस्तार से बताया
शशिकांत ओझा
बलिया : इंसान के अंदर दुर्बुद्धि रुपी असुरों का साम्राज्य हो गया है। इन असुरों का संहार करने के लिए सद्बुद्धि रुपी देव का अभ्युदय आवश्यक है। और यह कार्य वर्तमान में निष्कलंक देवी वेदमाता गायत्री के द्वारा की संभव है। गायत्री माता विवेक और ज्ञान की देवी हैं। गायत्री परिवार इसी नवयुग निर्माण मिशन के लिए कार्य कर रहा है। इसी क्रम में एक जनवरी से चार जनवरी तक दिव्य धार्मिक अनुष्ठान निमित है। उक्त बातें गायत्री शक्तिपीठ प्रभारी विजेंद्र नाथ चौबे ने कहीं।
गायत्री शक्तिपीठ परिसर में पत्र प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए श्री चौबे ने गायत्री माता की महत्ता, गायत्री परिवार की मंशा और आयोजित कार्यक्रम का विवरण विस्तार से रखा। आज आज इंसान स्वभाव में दुर्बुद्धि असुर के प्रभाव से मानव विचारों से वंचित होकर पशु विचार और संस्कृति की ओर बढ़ गया है। खाना सोना बच्चा पैदा करना और उनमें ही रहना अधिकांश हो गया है। वेदमाता गायत्री को इसी प्रवृत्ति को समाप्त कर सद्बुद्धि रुपी देव को प्राकट्य करना ही गायत्री परिवार की मंशा है। बताया सलिया शुरू से सभी मार्ग पर अग्रणी रहता है। इस अभियान में भी अग्रणी रहेगा। शक्तिपीठ में इसी निमित्त कार्य हो रहा है।
2026 तक सभी घरों में स्थापित होंगी गायत्री माता
बताया कि सभी घरों में वेदमाता को स्थापित करने का अभियान है। वेदमाता गायत्री को जिले के सभी घरों में स्थापित कर सद्बुद्धि को सर्वोपरि कृने का कखम 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा।
बताया कलश यात्रा का मार्ग भी
शक्तिपीठ प्रभारी ने एक जनवरी को निकलने वाली भव्य टँश यात्रा का मार्ग भी बताया। कहा कलश यात्रा शक्तिपीठ से निकल चमनसिंह बाग रोड जाएगी. वहां से चौक, फिर सिनेमा रोड होकर हनुमानगढ़ी फिर बालेश्वर मंदिर पहुंचेगी। वहां से नया चौक होकर चित्रगुप्त मंदिऋ होकर भृगु ऋषि के मंदिर पहुंचेगी। वहां से रेलवे स्टेशन होकर चौक आएगी फिर महाबीरघाट रोड स्थित शक्तिपीठ आकर संपन्न होगी।
प्रतिदिन सायं पांच बजे से संगीतमय प्रवचन भी
विजेंद्र नाथ चौबे ने बताया कि गायत्री शक्तिपीठ में 108 कुंडीय यज्ञ के साथ सायं पांच बजे से संगीतमय प्रवचन होगा। शांतिकुंज हरिद्वार सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से कथावाचक पधारेंगे।