शशिकांत ओझा
बलिया : सुघर छपरा में सरकार के करोड़ों रुपए खर्च के वावजूद भी मानक के अनुरुप कटान रोधी बचाव कार्य नहीं हो रहा है। इस कारण आम आदमी की चिंताएं बढ़ी हैं। बाढ़ विभाग की निगरानी में आधे अधूरे कटान रोधी बचाव कार्य से गांव कैसे बचेंगे यह चिंता लोगों को खायी जा रही है।
कार्यदाई संस्था के ठेकेदारों की लापरवाही से सरकार के करोड़ों रुपए पानी में बह गए और बह रहे हैं। सुघर छपरा में इस बार भी पानी की सतह से चार लेयर ही रिवेटमेंट का कार्य करके बचाव कार्य बंद हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना हैं कि अगले साल भी इसी तरह चार लेयर ही लोहे की जाली में बोल्डर डालकर बिछाया गया था। तब तक गंगा बढ़ने लगी और कार्यदाई संस्था के ठेकेदार आधे अधूरे कार्य छोड़कर भाग गए। नतीजा सभी किया गया कटान रोधी बचाव कार्य गंगा में बह गया।
इस साल भी बाढ़ विभाग की देखरेख में फिर उसी ठेकेदार द्वारा चार लेयर ही लोहे की जाली में बोल्डर डालकर बिछाया गया है और बचाव कार्य बंद पड़ा है। जबकि पानी की सतह से नौ लेयर रिवेटमेंट का कार्य करना था। तटवर्ती इलाके के लोगों का कहना है कि बाढ़ विभाग द्वारा कार्य योजना का कोई बोर्ड भी नहीं लगाया गया है। जिससे यह पता चले कि गंगा के पानी के कितने मीटर अंदर से प्लेटफार्म बनाना है और कितना मीटर चौड़ा व कितना मीटर ऊंचा बोल्डर बिछाना है। लोगों का कहना है कि इस तरह से आधे अधूरे कटानरोधी बचाव कार्य होने से सरकार का पैसा पानी में बहाया जा रहा है। विभागीय अधिकारी और ठेकेदार मालामाल हो रहे है। आम जनता व तटवर्ती क्षेत्र के लोग आज भी इस दहशत में हैं कि बाढ़ आने पर हमारा गांव भी गंगा के कटान में बह न जाय।