शशिकांत ओझा
बलिया : अंग्रेजों की दासता से मुक्ति के लिए 1857 में क्रांति की अलख जगाने वाले अमर शहीद मंगल पांडेय की शहादत दिवस पर पूरे देश ने उन्हें याद किया होगा पर उनके पैतृक जनपद में भव्यता से शहादत मनायी गई। उनके पैतृक गांव नगवां में भी उनके परिजनों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
उनके पैतृक आवास पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें ग्रामवासियों, क्षेत्रवासियों, विशिष्ट जन एवं उनके परिजनों ने सहभाग किया। सर्वप्रथम उनके चित्र पर सभी ने माल्यार्पण किया। उनके चित्र के समक्ष दीप जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। बच्चों ने उनकी कथा गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया। वक्ताओं ने अपना विचार प्रस्तुत किया। श्रीप्रकाश पांडेय मुन्ना जी ने कहा कि पांडेय जी की गोली ब्रिटिश हुकूमत (अंग्रेजों) के ताबूत की पहली कील साबित हुई।
शहीद मंगल पांडेय के प्रपौत्र आयोजक संतोष पांडेय ने कहा कि देश के लिए अपनी जान देने के बाद भी उन्हें शासन से कुछ मिला नहीं। बलिया में उनके नाम पर एम्स स्तर का अस्पताल और रिसर्च सेंटर होना चाहिए तथा उत्तर प्रदेश को विदेश दर्जा प्राप्त होना चाहिए। वक्ताओं में पूर्व प्रधान घनश्याम पांडेय, तेजनारायण, अमरेंद्र सिंह, डा. प्रदीप कुमार विवेक पांडेय, मनोज पांडेय शामिल रहे। इस दौरान लक्ष्मण यादव, प्रभुनाथ पांडेय, कमलदेव सिंह, मुनेश्वर गिरि, छोटे लाल, आनंद, लक्ष्मण राम, अवनीश उपाध्याय आदि ने सहभागिता की। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. अंजनी पांडेय और संचालन विवेक पांडेय ने की।