-पुलिस का सराहनीय कृत्य
-पुलिस की इस दरियादिली को तो बनती है 21 तोपों की सलामी
-अग्निपीड़ित परिवारों को एक कुंतल गेंहू चावल संग 50000 की आर्थिक सहायता
शशिकांत ओझा
बलिया : पता नहीं किस रुप में आकर नारायण मिल जाएंगे की बात नरही थाना क्षेत्र के पितरा कला गांव में भी चरितार्थ हो गई। यहां अग्निपीड़ितों के लिए नारायण का रुप अख्तियार कर खुद थानाध्यक्ष नरही पन्नेलाल आ गए। अग्निपीड़ितों को 50000 रुपये, एक कुंतल गेंहूं और एक कुंतल चावल की मदद तुरंत कर दी। थानाध्यक्ष पन्नेलाल की इस मानवीयता की चर्चा जनपद नहीं पूर्वांचल में हो रहा है। पुलिस की सामाजिक भूमिका को इस सराहनीय कार्य ने बिल्कुल बदल दिया है। पुलिसिया भाषा में नरही थानाध्यक्ष के इस कृत्य को 21 तोपों की सलामी तो बनती ही है।
नरही थाना क्षेत्र के पिपरा कला गांव में अज्ञात कारण से रविवार दोपहर भीषण आग लग गई। देखते ही देखते घर का सारा सामान जलकर राख हो गया। राम सागर प्रजापति की झोपड़ी में आग की लपटें शुरू हुई और देखते ही देखते विकराल रूप धारण कर लिया। इसमें गीता देवी, गणेशिया देवी, धर्मेंद्र प्रजापति के घर का सभी सामान जलकर राख हो गया। सभी अग्निपीड़ित खुले आसमान नीचे आ गए। फायर ब्रिगेड के घंटा भर लेट पहुंची पर सबकुछ बिगड़ने के बाद। नरही पुलिस मौके पर थी रोते परिजनों को देखकर थानाध्यक्ष पन्नेलाल का दिल पसीज गया और अंदर की मानवता जग गई। सहकर्मियों से चर्चा के बाद उन्होंने वहां वह किया जो लोग पुलिस से कभी अपेक्षा नहीं कर सकते। खुले आसमान के नीचे रह रहे परिवारों को ₹50000 की आर्थिक सहायता करते हुए थानाध्यक्ष ने भोजन के लिए एक कुंतल चावल और एक कुंतल गेंहूं का तत्काल प्रबंध कराया। अग्निपीड़ितों संग पूरे गांव को नरही थानाध्यक्ष में नारायण दिखे।
नरही थाने पर रहती फायरब्रिगेड तो मिलती राहत
पिछले वर्ष से फायर ब्रिगेड की गाड़ी नरही थाने पर मौजूद नहीं रहती है। पहले अंबिका चौधरी द्वारा गर्मी के दिनों में फायर सर्विस की एक गाड़ी मौजूद कराने का प्रबंध किया गया था। अगर थाने पर गाड़ी मौजूद होती इतना भारी नुकसान नहीं होता।