-लोकसभा चुनाव 2024
-उपेंद्र तिवारी का भी था दावा, नहीं मिला टिकट तो हो गए थे उदासीन
-हाईकमान ने समझाया तब पूर्व मंत्री कमर कस उतरे जंग-ए-मैदान में
शशिकांत ओझा
बलिया : राजनीति में कुछ नेताओं को अचूक अस्त्र माना जाता है उसी में फेफना विधानसभा में पूर्व मंत्री उपेंद्र तिवारी हैं। पूर्वांचल में उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के दूसरे नंबर की हैसियत वाले उपेंद्र तिवारी के लोकसभा चुनाव में सक्रिय होते ही भाजपा उम्मीदवार नीरज शेखर के मन का योद्धा और कुलाचें मारना शुरू कर दिया है। राजनीतिक गलियारे में यह कहा जाने लगा है कि जैसे ही नीरज के तरकश में उपेंद्रास्त्र आया है उनका मामला खुशनुमा हो गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री उपेंद्र तिवारी ने भी लोकसभा चुनाव में बलिया संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से टिकट की अपेक्षा की थी। उपेंद्र तिवारी ने पार्टी हाई कमान से यह भी कहा था कि वह बलिया संसदीय सीट के अलावा गाजीपुर संसदीय सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा द्वारा अंतिम समय में जब टिकट फाइनल किया गया तो उन्हें बलिया और गाजीपुर कहीं से स्थान नहीं मिला। बलिया से नीरज शेखर को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया। टिकट नहीं मिलने पर उपेंद्र तिवारी उदासीन हो गए। ऐसे में विधानसभा फेफना में नीरज शेखर की जीत को लेकर लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया। पार्टी हाई कमान ने उपेंद्र तिवारी को लखनऊ बुलाकर समझाया और उन्हें नीरज शेखर के चुनावी जंग में प्रधान सेनापति की तरह लड़ने का निर्देश दिया।
पार्टी हाई कमान की वार्ता और निर्देश को मानते हुए उपेंद्र तिवारी मैदान में उतर गए। उपेंद्र तिवारी के एक्टिव होते ही जैसे लोगों को लगा कि अब उपेंद्र तिवारी नीरज शेखर के साथ खड़ा हो गए हैं तब लोग दूसरी तरह की भाषा बोलने लगे हैं। लोगों का यह कहना था कि अब विधानसभा फेफना में नीरज शेखर की लड़ाई बहुत बेहतर हो गई है। कारण उनके तरकश में उपेंद्रास्त्र आ गया है।