
-ऐतिहासिकता पर संकट
-नगर पंचायत और जिला प्रशासन इसके प्रति तनिक भी गंभीर नहीं

शशिकांत ओझा
बलिया : नगर पंचायत चिततबड़ागांव के बाजार स्थित लगभग ढाई सौ वर्ष पुराना ऐतिहासिक तेलिया पोखर चारों तरफ से अतिक्रमण का शिकार हो गया है। रिहायशी मकानों और बाजार के गंदे पानी को तेलिया पोखरा में गिराए जाने के कारण बाजार की खूबसूरती में चार-चांद लगाने वाला तेलिया पोखरा आज गड़ही का रूप धारण कर चुका है। नगर पंचायत की ऐतिहासिकता पर संकट हो गया है।
बलिया जनपद की सबसे पुरानी टाउन एरिया चितबड़ागांव का बाजार साठ के दशक तक गुड़ और मसूर दाल की मंडी के लिए पूर्वांचल में जाना जाता था। इस बाजार में लगभग ढाई सौ वर्ष पूर्व चितबड़ागांव के संपन्न व्यवसायी होती तेली द्वारा पोखरे का निर्माण कराया गया। पोखरे के दक्षिणी छोर पर स्थित शिव मंदिर आज भी नगर पंचायत की एक प्राचीन धरोहर के रूप में खड़ा है। पोखरे के चारों दिशाओं में पक्की सीढ़ियों के साथ घाट बने हुए थे। दक्षिण दिशा में पशुओं के जल पीने के लिए ढलान युक्त मार्ग बना हुआ था, जिससे पशु जल पीने के लिए आसानी से पोखरे में उतर जाते थे। लेकिन विगत सत्तर के दशक से ही पोखरे पर अतिक्रमण का ग्रहण लगना शुरू हुआ धीरे-धीरे पोखरे की सीढ़ियों पर मिट्टी डालकर पक्के निर्माण कर लिए गए और पोखरा में बाजार का कूड़ा कबाड़ डाला जाने लगा। वर्तमान में तेलिया पोखरे को चारों दिशाओं से कच्चे पक्के निर्माण के द्वारा अतिक्रमित कर दिया गया है और रिहायशी मकानों का मल जल एवं बाजार का गंदा पानी इसी पोखरे में गिर रहा है। कई बार स्थानीय लोगों ने पोखरे को अतिक्रमण मुक्त करने का आंदोलन भी चलाया, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। किसी जमाने में एक व्यक्ति द्वारा परोपकार की दृष्टिकोण से अपनी कमाई का भारी अंश व्यय कर पोखरे का निर्माण कराया गया लेकिन आज इस पोखरे के अधिकांश भाग को निजी स्वार्थ में लोग कब्जा कर चुके हैं। पोखरे का अस्तित्व ही समाप्त होने के कगार पर है। दुर्भाग्य का विषय है कि नगर पंचायत प्रशासन और जिला प्रशासन चितबड़ागांव के समाप्त होते इस अस्तित्व को लेकर तनिक भी गंभीर नहीं है।