
-विश्वविद्यालय का शैक्षणिक आयोजन
-राज्यपाल के हाथों विश्वविद्यालय ने 43 मेधावी छात्रों को दिया गया स्वर्ण पदक
-कुलाधिपति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विद्यार्थियों को दी शुभकामनाएं


शशिकांत ओझा
बलिया : जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय का सप्तम् दीक्षान्त समारोह मंगलवार को बड़े ही गरिमामय वातावरण में भव्यतापूर्ण तरीके से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया गया। दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के 43 मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदक (गोल्ड मेडल) प्रदान किया गया।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने उद्बोधन में बलिया की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत को नमन करते हुए कहा कि यह धरती संतों, ऋषि-मुनियों, स्वतंत्रता सेनानियों और साहित्यकारों की तपोभूमि रही है। उन्होंने मंगल पांडेय, चित्तू पांडेय, जयप्रकाश नारायण और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जैसे महापुरुषों को याद करते हुए बलिया की वीरगाथा का स्मरण किया। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस दौरान कहा कि विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाने के लिए युवाओं को नवाचार और अनुसंधान की दिशा में आगे बढ़ना होगा। राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह आश्वासन दिया है कि स्किल डेवलपमेंट के लिए प्रोजेक्ट बनाएंगे तो जरूर सैंक्शन होगा। पर्यावरण खतरे में है, इसे बचाने का संकल्प लेना होगा और अधिकाधिक संख्या में पौधे लगाने होंगे। विश्वविद्यालयों में अध्ययन-अध्यापन की संस्कृति में सुधार लाना होगा। छात्रों को नियमित कक्षाओं में उपस्थित रहना होगा, अध्यापक पढ़ाने के साथ शोध की संस्कृति का विकास करें। युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति, लिव इन रिलेशन जैसी दुष्प्रवृत्ति की आलोचना की, क्षोभ व्यक्त किया। कहा कि मुझे तभी खुशी होगी जब उप्र का हर युवा ड्रग्स छोड़ेगा। लड़कियों को सतर्क किया कि लुभावने झांसों में न आयें, अपने जीवन को बेहतर लक्ष्यों के लिए समर्पित करें।

बलिया की क्रांतिकारी धरती पर सजी ज्ञान की गंगा : पद्मश्री डॉ. रजनीकांत
दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. रजनीकांत ने अपने संबोधन में कहा कि बलिया की मिट्टी में तप, त्याग, तपस्या और क्रांति के तत्व समाहित हैं। महर्षि भृगु, बलि, पराशर, गर्ग, परशुराम जैसे ऋषियों की तपोभूमि होने के साथ-साथ यह धरती संतों एवं समाज सुधारकों की साधना स्थली रही है। उन्होंने बलिया को “क्रांति की जन्मभूमि” बताते हुए कहा कि यहां क्रांति केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और वैचारिक भी रही है। प्रसन्नता व्यक्त की कि कृषि जैसे विषयों में भी छात्राओं को स्वर्ण पदक मिल रहे हैं। विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए डॉ. रजनीकांत ने कहा कि विश्वविद्यालय केवल ज्ञान अर्जन का केंद्र नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण की प्रयोगशाला होते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की भूमिका राष्ट्र निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण है और गुरु-शिष्य का संबंध आज भी उतना ही पवित्र है जितना प्राचीन काल में था। उन्होंने कहा, “बिना नैतिक मूल्यों के शिक्षा अधूरी है। शिक्षा का उद्देश्य है— व्यक्ति का सर्वांगीण विकास। वह ज्ञान, जो समाज और राष्ट्र के हित में न लगे, उसे सच्ची शिक्षा नहीं कहा जा सकता। डॉ. रजनीकांत ने युवाओं से आग्रह किया कि वे सत्य, सेवा और त्याग के मार्ग पर चलें। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति ही राष्ट्र की शक्ति है और यदि यह दिशा से भटकती है तो राष्ट्र भी मार्ग से भटक जाता है। उन्होंने कहा, जिस देश के छात्र जागरूक होते हैं, वह देश कभी पीछे नहीं रह सकता। कहा कि भारत पुनर्निर्माण के दौर से गुजर रहा है। लोकल से ग्लोबल की प्रधानमंत्री जी के ध्येय को शिक्षा में उतारना होगा। कहा कि कौशल विकास समय की मांग है, अगर हाथ में हुनर होगा तो दुनिया में आपकी पूछ होगी।दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे देश के गौरव और प्रगति के आधार बनें। बलिया की विशेषताओं सत्तू, बाटी चोखा, जलेबी आदि की जीआई टैगिंग कराने का आश्वासन दिया।

उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी रहीं विशिष्ट अतिथि
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती रजनी तिवारी ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। उपाधि प्राप्तकर्ता विद्यार्थियों एवं स्वर्ण पदक विजेता विद्यार्थियों को बधाई दी। कहा कि अब आपके कर्मक्षेत्र में उतरने का समय है। अपने गुरुओं से प्राप्त उपदेश को अपने जीवन में उतारें। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठोर परिश्रम करें। उनकी सफलता से ही देश और समाज का विकास होगा। विकसित भारत के सपने को अगर साकार करना है तो युवाओं को आगे आना होगा। उन्हीं के ज्ञान और कौशल की आधारशिला पर देश की प्रगति का निर्माण होगा।


विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह में 19,560 विद्यार्थियों को उपाधियाँ
-छात्राओं ने फिर मारी बाज़ी, कुलाधिपति पदक शामिया खातून को
विश्वविद्यालय के भव्य दीक्षांत समारोह में इस वर्ष कुल 19,560 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं। राज्यपाल एवं कुलाधिपति की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न इस कार्यक्रम में 15,878 स्नातक और 3,682 परास्नातक विद्यार्थियों को उपाधियाँ दी गईं। इस वर्ष दीक्षांत समारोह में छात्राओं का दबदबा देखने को मिला। उपाधि प्राप्त करने वालों में 62% छात्राएं (12,143) और मात्र 38% छात्र (7,417) रहे। स्नातक स्तर पर 60% छात्राएं तथा परास्नातक स्तर पर 72% छात्राएं सफल रहीं। इस बार कुल 19 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई, जिनमें 13 छात्र और 06 छात्राएं शामिल हैं।

कुलपति ने प्रस्तुत की विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता ने स्वागत उद्बोधन देते हुए विवि की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। बताया कि विवि के प्रथम चरणों के भवन निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है। विश्वविद्यालय के प्रवेश, परीक्षा, परिणाम आदि सारे कार्य ऑनलाइन मोड में संचालित हैं। जेएनसीयू पूरे प्रदेश में सबसे पहले परीक्षा परिणाम घोषित करता है। परिसर में नये व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के खुलने से प्रवेश बढ़ा है। विवि के प्राध्यापकों को आईसीएसएसआर से प्रोजेक्ट हेतु अनुदान मिले हैं। आईसीएसएसआर एवं उ. प्र. के विज्ञान एवं तकनीकी परिषद के अनुदान से सेमिनार और वर्कशाप आयोजित किये गये। पी-एच डी उपाधियों की संख्या में वृद्धि हुई है।

जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के स्वर्ण पदक विजेता
सप्तम दीक्षान्त समारोह में कुल 44 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक वितरित किये गये। जिनमें बीए नीलू यादव, बीकॉम आँचल सिंह, बीएससी सलोनी गुप्ता, बीसीए श्रेया गौर, बीएससी कृषि शाक्या, बीएड नाजनीन बानो, बीपीएड ओम प्रकाश भाम्भू, बीएलएड फ़िज़ा नाज़, बीलिब अमर बहादुर सिंह, एलएलबी शहबाज़ खान, एमए हिन्दी अस्मिता यादव, एमए अंग्रेजी जान्हवी राय, एमए संस्कृत आरती साहनी, एमए उर्दू शामिया खातून, एमए मनोविज्ञान श्वेता, एमए शिक्षाशास्त्र कु. रीतू, एमए प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व- प्रभा वर्मा, एमए मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास संजना, एमए भूगोल कु. शशि तिवारी, एमए राजनीति विज्ञान सरोज सुमन, एमए अर्थशास्त्र श्री कृष्ण यादव, एमए दर्शनशास्त्र प्रियंका यादव, एमए-श रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन संजीव कुमार यादव, एमए समाजशास्त्र कु. सपना चौरसिया, एमएसडब्लू खुशबू यादव, एमए गृहविज्ञान (मानव विकास) कु. अंशिका यादव, एमए गृहविज्ञान (खाद्य एवं पोषण) कु. कशक परवीन, एमए संगीत (गायन) उन्नति चौरसिया, एमए संगीत (तबला) सुडू चौहान, एमकॉम आरती यादव, एमएड कोमल कुमारी, एमएससी भौतिक विज्ञान राजनारायण, एमएससी गणित कृति गुप्ता, एमएससी रसायन विज्ञान रूपेश कुमार पाण्डेय, एमएससी वनस्पति विज्ञान प्रिया कुमारी, एमएससी जन्तु विज्ञान कु. अंजलि, एमएससी बायोटेकनोलाजी निशि खातून, एमएससी (कृषि) कृषि अर्थशास्त्र शिवांगी सिंह, एमएससी (कृषि) मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन अनुष्का सिंह, एमएससी (कृषि) आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन आशुतोष पाण्डेय, एमएससी (कृषि)-श हॉर्टिकल्चर निधि गुप्ता, एमएससी (कृषि) एग्रोनॉमी आकृति सम्मिलित रहीं। शामिया खातून को विश्वविद्यालय में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने के लिए कुलाधिपति पदक (चांसलर मेडल) भी प्रदान किया गया।

प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थी हुए राज्यपाल के हाथों पुरस्कृत
दीक्षान्त समारोह के पूर्व दीक्षोत्सव सप्ताह का आयोजन किया गया था। जिसमें विश्वविद्यालय के गोद लिये हुये गाँवों के प्राथमिक विद्यालयों में भाषण, चित्रकला एवं कहानी लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया गया। तीन चरणों में आयोजित करायी गयी इन प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों को पहले कक्षानुसार बाँटकर प्रतियोगिता आयोजित हुई। इसके बाद विद्यालय स्तर पर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। अंत में सभी गाँवों के विजेता विद्यार्थियों के मध्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में चयनित विजेता विद्यार्थियों को राज्यपाल ने पुरस्कृत किया। भाषण प्रतियोगिता के विजेता विद्यार्थी ने अपने भाषण की प्रस्तुति भी दी। प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा पर्यावरण गीत की प्रस्तुति भी राज्यपाल के समक्ष की गयी। राज्यपाल ने इन नन्हे- मुन्ने बच्चों की प्रतिभा की सराहना की। उन्हें दुलारा, आशीर्वाद दिया और उपहार भी प्रदान किये। इस अवसर पर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक को राज्यपाल ने बच्चों के पढ़ने के लिए बालोपयोगी पुस्तकें भी भेंट कीं।

आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को राज्यपाल ने किया किट वितरण
दीक्षान्त समारोह के अंतर्गत आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को 300 किट भी वितरित किये गये, जिनमें जिला प्रशासन द्वारा 200 जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा 100 किट उपलब्ध कराये गये थे। इन किटों में आंगनबाड़ी केन्द्रों में उपयोग की जाने वाली वस्तुएँ ट्राईसाइकिल, घोड़ा, कुर्सी, खिलौने आदि सम्मिलित थे। आंगनबाड़ी केन्द्रों में शिशुओं की देखभाल को सरल बनाने और उनके शारीरिक एवं बौद्धिक विकास के लिए इनका उपयोग लाभदायी होगा। इस अवसर पर जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह, सीडीओ ओजस्वी राज उपस्थित रहे। राज्यपाल ने उन्हें राजभवन की पुस्तकें भी भेंट कीं।

दीक्षांत समारोह में स्मारिका एवं पुस्तकों का लोकार्पण
दीक्षान्त समारोह में दीक्षांत की स्मारिका सृजन, विश्वविद्यालय के समाचार पत्र अन्वीक्षण के साथ प्राध्यापकों द्वारा लिखित पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। स्मारिका के संपादक मंडल में डाॅ. संदीप यादव, डाॅ. प्रवीण नाथ यादव, डाॅ. अभिषेक मिश्र, डाॅ. दिलीप कुमार मद्धेशिया एवं डाॅ. नीरज कुमार सिंह सम्मिलित रहे। समाचार पत्र के संपादक डाॅ. प्रमोद शंकर पाण्डेय, संपादक मंडल के अन्य सदस्य डाॅ. सरिता पाण्डेय, डाॅ. दिलीप कुमार मद्धेशिया, डाॅ. नीरज कुमार सिंह, डाॅ. संदीप यादव, डाॅ. प्रवीण नाथ यादव, डाॅ. अभिषेक मिश्र रहे। पुस्तकों में डाॅ. अभिषेक मिश्र की बालमुकुन्द गुप्त का गद्य साहित्य, डाॅ. विवेक कुमार यादव की भारत में निर्बल वर्ग (समस्याएँ और समाधान), डाॅ. रुबी की मातृत्व स्वास्थ्य एवं समाज कार्य, डाॅ. प्रज्ञा बौद्ध की द रोल ऑफ डिजिटल इकोनॉमी एंड टेक्नोलाजी इन इंडिया तथा डाॅ. अभय शंकर सिंह, डाॅ. श्याम बिहारी श्रीवास्तव व डाॅ. फिरोज खान द्वारा संपादित पुस्तक रुस-यूक्रेन संघर्ष और भारत का दृष्टिकोण सम्मिलित रहीं।

बालिकाओं का टीकाकरण भी
दीक्षांत समारोह के अवसर पर राज्यपाल की प्रेरणा से किशोरियों का टीकाकरण किया गया। बलिया जनपद के पुलिस परिवारों की 9-14 आयुवर्ग की 20 बालिकाओं को सर्विकल कैंसर से बचाव हेतु टीका भी लगाया गया। राज्यपाल ने महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने की प्रेरणा देते हुए बालिकाओं के अधिकाधिक टीकाकरण का आह्वान भी किया। कहा कि बालिकाओं को उपहार के रूप में अन्य वस्तुएँ न देकर उनका टीकाकरण कराना उनके लिए सबसे बड़ी भेंट होगी।
दीक्षांत समारोह में इनकी रही मौजूदगी
इस कार्यक्रम में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी, कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता, कुलसचिव संतलाल पाल, जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह, पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह, सीडीओ ओजस्वी राज सहित विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी, संकाय सदस्य, छात्र-छात्राएं एवं अभिभावक उपस्थित रहे। संचालन डाॅ. सरिता पाण्डेय ने किया।



