-मिशन 2022
-हाल ही में सपा मुखिया अखिलेश यादव से कर चुके हैं मुलाकात
बलिया : सभी पार्टियां मिशन 2022 की तैयारियों में जुट गई हैं। समाजवादी पार्टी भी ‘नई सपा है नई हवा है’ के मंत्र के साथ सत्ता में वापसी की संभावनाओं को तलाश रही रही है। इसमें युवा और ब्राह्मणों पर सपा की विशेष नजर है।
बात अगर बलिया नगर विधानसभा क्षेत्र की करें तो यहां पार्टी के जिला प्रवक्ता की बखूबी भूमिका निभा रहे टीडी कालेज छात्रसंघ के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुशील कुमार पाण्डेय ‘कान्हजी’ सपा की इस कसौटी पर फिट बैठ सकते हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि भाजपा से ब्राह्मणों की नाराजगी को भुनाने के लिए सभी दल जोर आजमाइश कर रहे हैं। बसपा ने जहां अयोध्या से कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू कर ब्राह्मणों को रिझाने की कोशिश शुरू की तो वहीं सपा ने भी पार्टी के ब्राह्मण चेहरों के जरिए बलिया स्थित जनेश्वर मिश्र के गृह ग्राम शुभनथहीं से प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन श्रृंखला की शुरुआत की। पार्टी के प्रमुख ब्राह्मण चेहरों को प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन की जिम्मेदारी दी गई थी। इसमें प्रदेश स्तर पर जिले से पूर्व विधायक सनातन पाण्डेय को अहम भूमिका थी तो समूचे कार्यक्रम का बखूबी संचालन कर पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ‘कान्हजी’ ने शीर्ष नेतृत्व का ध्यान आकृष्ट किया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पर प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन से पूर्व लखनऊ में सपा मुखिया अखिलेश यादव से सुशील कुमार पांडेय ‘कान्हजी’ की अहम मुलाकात भी हुई थी। जिसके बाद उन्हें स्व जनेश्वर मिश्र के पैतृक गांव शुभनथही में होने वाले प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन के लिए बनाई गई जनपदीय टीम में स्थान दिया गया था। बीते कुछ वर्षों में सुशील कुमार पांडेय ‘कान्हजी’ का सपा में अनयास ही कद नहीं बढ़ा है। बल्कि उन्होंने पार्टी की तरफ से मिली हर जिम्मेदारी को पूरी तन्मयता से निभाया है। पार्टी की तरफ से किए जाने वाले आंदोलनों में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाते हैं। साथ ही पार्टी की नीतियों को निचले स्तर तक पहुंचाने में अपने वक्तृत्व कला का बखूबी इस्तेमाल करते हैं। छात्र जीवन से ही संघर्ष की राह पर चलने वाले कान्हजी पर समाजवादी पार्टी जल्द ही 2022 के मद्देनजर कोई बड़ा दांव लगा सकती है। इन चर्चाओं को बल मिलने लगे हैं। इसके पीछे भी कई तर्क दिए जा रहे हैं। बलिया नगर विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र है। पिछले चुनावों में पार्टी ने जिन चेहरों को आजमाया, वे उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके। जबकि भाजपा से ब्राह्मण चेहरा आनंद स्वरूप शुक्ल को लेकर नाराजगी को यदि समाजवादी पार्टी भुनाने का प्रयास करेगी तो सुशील कुमार पांडेय कान्हजी ही उसके लिए मुफीद दिख रहे हैं।