Advertisement
7489697916 for Ad Booking
उत्तर प्रदेश देश पूर्वांचल बलिया राज्य

शुरू हुआ सैलानी पक्षियों के आने का क्रम, गुलजार हुआ सुरहाताल

-साइबेरियन आगमन

-पर्यटकों संग शिकारियों के दिल में भी उठने लगी उमंग, होता है शिकार भी

शशिकांत ओझा

बलिया : ठंड के मौसम में सभी लोग अपनी पसंद वाली जगहों पर जाना चाहते हैं। जिसे जो स्थान पसंद आए वह वहां की रवानगी कर ही देता है। बलिया जनपद का सुरहाताल भी कुछ इसी तरह की जगहों में एक है और यह साइबेरियन पक्षियों की पसंद है। शरद ऋतु में गुलाबी ठंड प्रारम्भ होते ही ऐतिहातिक सुरहाताल में प्रवासी पंक्षियों का आवागमन शुरू हो जाता है और अभघ हो गया है। आलम यह है कि मेहमान पक्षियों के आने से पूरा सुरहा ताल गुलजार होने लगा है।

विदेशी अप्रवासीय के अलावा स्थानीय प्रवासी पक्षियों की भी सुरहा ताल में मौजूदगी रहती हैं। कई देशों से आने वाली पक्षियों को साइबेरियन के नाम से जाना पहचाना जाता है। जो हर वर्ष यहां आकर प्रवास करती हैं। साथ ही सुरहाताल में आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का खासा केन्द्र रहती हैं। 

शिकारियों के दिल में भी उठने लगी उमंग-तरंग

सुरहाताल में साइबेरियन सहित अन्य पक्षियों का आगमन जैसे ही शुरू हुआ है शिकारियों के दिलों में भी उमंग और तरंग उठने लगी है। कारण पंक्षियों का शिकार किया जाना भी आरंभ हुआ या करना है। शिकारी पक्षियों को ऊंचे दामों पर बेचते हैं। प्रवासी पंक्षियों के आने से हर साल बसंतपुर के आसपास निवास करने वाले शिकारियों की चांदी कटने लगती हैं।

सर्दी शुरू होते ही परदेश से हजारों की संख्या में आते हैं पक्षी

विदेशी पक्षियों के लगभग 10 किमी क्षेत्रफल में फैले सुरहा ताल में आने का क्रम सर्दी आते ही शुरू हो जाता है। सर्दी के मौसम में सुरहाताल की वादियां सुंदर हो जाती हैं। इन दिनों बसंतपुर स्थित जयप्रकाश नारायण पक्षी विहार क्षेत्र साइबेरियन पक्षियों से गुलजार हो गया है। आने वाले परिंदे करीब एक-डेढ़ दशक पहले यहां आने के बाद पूरी तरह महफूज रहते थे। ताल के किनारे स्थित गांवों के बड़े व बूढ़े इन विदेशी महमानों को पानी में अटखेलियां करते देख खुश होते थे। ऐसे खुशनुमा माहौल के बीच शिकारी माहौल खराब कर रहे हैं। वे रोज काफी संख्या में पक्षियों का शिकार कर रहे हैं।

शिकारियों पर नहीं लगी रोक तो सुरहाताल होगा वीरान

लोग बताते हैं कि अगर समय रहते इसे नहीं रोका गया तो सुरहाताल वीरान हो जाएगा। बताया जाता है कि शिकारी तितलियों को पकड़ मार देते हैं। उनके अंदर कीटनाशक भरकर ताल के पानी में जगह-जगह रखते हैं। इसके बाद कुछ दूरी पर नाव में ही छिप जाते हैं। तितलियों को खाते ही पक्षी अचेत हो जाते हैं। इतने में शिकारी उन्हें पकड़ कर नमक का घोल पिला देते हैं। इससे पक्षी ठीक हो जाते हैं। हालांकि कभी-कभी पक्षियों की मौत भी हो जाती है।

हजारों मील की दूरी तय कर पहुंचते हैं पक्षी

सर्दी के दिनों में सुरहा ताल सुंदर वादियों की तरह हो जाती है, जो खासकर साइबेरियन पक्षियों को काफी भाता है। यही कारण है पिछले कई दशकों से हजारों मील की दूरी तय कर प्रवासी पक्षी पहुंच रहे हैं। वहीं, विदेशी मेहमानों के पहुंचते ही शिकारी भी सक्रिय हो जाते हैं लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है।

साइबेरिया और आस्ट्रेलिया से आते हैं पक्षी

सुरहाताल में खासतौर से उच्च अक्षांशों के शीत क्षेत्रों अर्थात साईबेरियाई क्षेत्रों से पक्षी आते हैं। ये अति सुंदर, रंग-बिरंगे एवं मनोहारी होते हैं। ये पक्षी विभिन्न तरह से कलरव एवं करतब करते हुए आकर्षक लगते हैं। इन पक्षियों में साईबेरियन समेत तमाम देशों से आने वाले लालसर,शिवहंस,डुबडूबी,जलकौआ, सिलेटी अंजन, लाल अंजन, गोई लाल गोई, रंगीन जांघिल, काला जांघिल, सफेद बाज, काला बाज, सवन, सुर्खाव, कपासी चील, बड़ा गरुण, नील सर, सारस, ताल मखानी, पीली टिटिहरी, हुदहुद, धनेश, भूरी मैना,जैसे पंक्षी पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं।वास्तव में ये पक्षी वातावरण के अनुकूल प्रवास करते हैं।

स्थानीय पंछी भी बढ़ाते हैं खूबसूरती

इन पंक्षियों में दयाल,बबूना,कपासी चील,अबलकी, मैना, हरा पतंग, सामान्य भुजंगा, नील कण्ठ, बड़ा खोटरू,सिपाही बुलबुल,पवई,मैना,पीलक,चित्ति मुनिया,ठठेरा बसन्धा,कोयल,जंगली गौगाई चरखी, सिलेटी धनेश, घरेलू गौरैया, लाल तरुपिक, हुदहुद, पीला खंजन, सफेद खंजन, टिकिया,कैमा आदि जैसे स्थानीय पंक्षी पाए जाते हैं।

Advertisement

7489697916 for Ad Booking