-घाघरा में बाढ़
-तेजी से उपजाऊ जमीन को अपने आगोश में ले रही घाघरा नदी
रविशंकर पांडेय
बांसडीह (बलिया): यूपी में भले बारिश कम हो रही है पर नदियों के जलस्तर में उछाल बदस्तूर जारी है। जिले में सरयू नदी खतरा बिंदु छूने को आतूर है। किसानों और तटवासियों की फजीहत बढती जा रही है। बाँसडीह तहसील के उत्तर दिशा से सरयू नदी निकलते हुए रेवती बैरियां होते माझी पुल के पास (बिहार) छपरा के सरहद पर गंगा के साथ मिल जाती है।
तेजी से जलबढ़ाव के कारण सैकड़ों एकड़ उपजाऊ जमीन नदी में विलीन हो गई है । अभी भी तेजी से कटान जारी है। बांसडीह तहसील के कोटवा, मलाहीचक, सुल्तानपुर,चक्की दियर,टिकुलिया सहित कई गाँवो के किसान परेशान हैं। शनिवार की शाम चार बजे के रिपोर्ट के मुताबिक डीएसपी हेड गेज पर 63.220 जलस्तर मापा गया।खतरा बिंदु की बात करें तो यहां 64.01 है। तथा उच्चतम जलस्तर 66.00 है। लगातार जलस्तर में वृद्धि होने के कारण उपजाऊ जमीन कटान की चपेट में आ रहे हैं। जबकि रविवार को डीएसपी हेड में सरयू (घाघरा) सुबह आठ बजे 63.34 है जबकि खतरा बिंदु 66.00 है।वही चांदपुर में 56.53 मापा गया।यहां खतरा बिंदु 60.24 है। सरयू (घाघरा) अब खतरा बिंदु छूने के कगार पर है।
नदी का यह रौद्र रूप देखकर किसानों के माथे की चिंता की लकीरें बढ़ गई है। विवशता तो ये है कि उन्हें अपनी जमीन को बचाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा। सुरसा की तरह मुँह बाए नदी आए दिन कई बीघा उपजाऊ जमीन को अपने आगोश में ले रही है। पेड़ भी नदी में समाहित हो रहे हैं। जिससे दियारे के लोग भय में है।
बाढ झेलने वालों की पीड़ा सिर्फ प्रभावित ही जानते
गंगा और सरयू की बाढ़ झेलने वालों की पीड़ा सिर्फ उसके प्रभावित लोग ही समझ सकते हैं। ऐसा नहीं है कि अधिकारियों और सियासी लोगों को ये नहीं दिखता। इसके उपाय तो खूब होते हैं…योजनाएं बनतीं हैं, रुपये पानी में बहते हैं । लेकिन किसी ने शिद्दत से इन समस्याओं को दूर करने का प्रयास नहीं किया। नतीजा बाढ़ और कटान की समस्या ने कई गांव मिटा दिए तो वहीं हजारों लोगों को बेघर कर दिया। सच तो ये है कि अपने प्रचंड वेग में से नदियां घर और खेत नहीं काटती बल्कि लोगों का कलेजा काटती है।