
-प्रादेशिक ताइक्वांडो प्रतियोगिता
-जनपदीय प्रतियोगिता में ही विद्यालय से सात प्रति में लेकर आते हैं खिलाड़ी
-बलिया में ही इस वर्ष हुई थी जनपदीय, मंडलीय और प्रादेशिक प्रतियोगिता

शशिकांत ओझा
बलिया : 68वीं प्रदेश स्तरीय विद्यालयी ताइक्वांडो प्रतियोगिता बलिया में इस बार पहली बार आयोजित हुई। प्रतियोगिता ने शानदार आयोजन का कीर्तिमान भले बनाया हो पर एक बुरा रिकार्ड भी बना दिया है। वह रिकार्ड है “मेजबान मंडल की टीम का रिस्टीकेट होने का”। आजमगढ़ मंडल की टीम प्रतियोगिता में आई जरूर थी पर खेल नहीं पाई। उसका कारण बना अपूर्ण पात्रता प्रमाण का। क्या है यह पात्रता प्रमाण पत्र जिसने खिलाड़ियों का टेस्ट और भविष्य दोनों को ही खराब कर दिया।

एसजीएफआई द्वारा विद्यालयी खिलाड़ियों को पहचान देने के लिए प्रतियोगिता कराई जाती है। खिलाड़ियों को प्रतियोगिता में सहभागिता के लिए अपने विद्यालय से सात प्रति में प्रधानाचार्य की दस्तखत और मुहर से पात्रता प्रमाण पत्र लेकर आते हैं। जनपदीय प्रतियोगिता में सहभागिता के बाद जिले के जिला क्रीडा सचिव के माध्यम से पात्रता प्रमाण पत्र (इलिजीबिलीटी फार्म) की एक प्रति जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में जमा हो जाती है। शेष प्रतियों पर जिला विद्यालय निरीक्षक के हस्ताक्षर करा संकलन सूची के साथ मंडल में भेजा जाता है। मंडल के आयोजन के बाद पात्रता प्रमाण पत्र की एक प्रति संयुक्त निदेशक (जेडी) कार्यालय में रख वहां से जेडी के हस्ताक्षर के उपरांत स्टेट प्रतियोगिता के लिए प्रेषित की जाती है।

प्रदेश की प्रतियोगिता के बाद एक प्रति को सुरक्षित कर आगे प्रेषित किया जाता है। यही क्रम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता तक चलता है। इस वर्ष ताइक्वांडो खेल की जनपदीय प्रतियोगिता जिला मुख्यालय पर हुई। यहां शायद खिलाड़ियों से पात्रता प्रमाण नहीं लिया गया। ताइक्वांडो की मंडल प्रतियोगिता भी इस बार बलिया में ही हुई। यहां भी पात्रता प्रमाण पत्र शायद एकत्रित नहीं किया गया। बलिया में ही स्टेट प्रतियोगिता भी आयोजित हुआ। ताज्जुब की बात रही की आजमगढ़ मंडल की टीम का पात्रता प्रमाण पत्र यहां भी अधूरा था। पात्रता प्रमाण पत्र अपूर्ण होने की दशा में टीम को ही आयोजक मंडल ने रिस्टीकेट कर दिया। आजमगढ़ मंडल की जिस महिला टीम का टेस्ट और भविष्य खराब हुआ उसमें बलिया जिले की भी तीन बेटियां रही। ऐसे में जिम्मेदारों की भूमिका पर सवालिया निशान तो बनता ही है।