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प्रख्यात कवि शशि प्रेमदेव के आंगन में बही कविता की सरिता

-आयोजित हुई कवि गोष्ठी
डा. कादम्बिनी सिंह की वंदना से शुरू हुआ सफर अंततः उन्हीं की ग़ज़ल से जमा
-डा. शशि प्रेमदेव की प्रस्तुति को उपस्थित कवियों सहित सभी ने खूब सराहा
-डा. नवचंद्र तिवारी की भोजपुरी रचना को भी मिली सभी की खूब वाहवाही

शशिकांत ओझा

बलिया : जनपद ही नहीं पूर्वांचल के प्रख्यात गजलकार, गीतकार और कवि डा. शशि प्रेमदेव के आंगन अर्थात कुंवर सिंह इंटर कालेज परिसर में रविवार को साहित्य चेतना समाज के बैनर तले आयोजित कवि गोष्ठी में कविता की खूब सरिता सही। उपस्थित सभी ने कवियों की रचनाओं को खूब सराहा।


शहर के कुंवर सिंह इंटर कॉलेज में साहित्य चेतना समाज के बैनर तले आयोजित सरस काव्य गोष्ठी की शुरुआत डॉ कादंबिनी सिंह की वाणी वंदना शारदे मेरे मन से अंधेरा हरो से हुई। तत्पश्चात डॉ सुभाष चंद्र सिंह ने जन्म लेने लगे क्रूरता/ रब को इतना भी क्या चाहना से मजहबी कट्टरता को व्यक्त किया। कुंवर सिंह इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं ग़ज़लकार डॉ शशि प्रेमदेव ने ‘यह उनकी बदनसीबी है कि दिन की रोशनी में भी कभी अंधों को अच्छे दिन दिखाई दे नहीं सकते’ सुनाकर सबको सोचने पर मजबूर कर दिया। पूर्व प्रधानाचार्य व कवि रामेश्वर सिंह ने अपनी विशिष्ट शैली की आकार में छोटी-छोटी किंतु गहरे अर्थ वाली रचनाओं से उपस्थित जन को आह्लादित कर दिया। संस्था के संयोजक डॉ नवचंद्र तिवारी ने समय संदर्भ को रेखांकित करते हुए हिंदी व भोजपुरी रचना से ग्रामीण जीवन को उकरते हुए ‘साथ निभावे वाला मनई कंहवा लउके अब भाई। रीति-प्रीति में अव्वल गंवई कंहवा लउके अब भाई से वाह-वाही लूटी। श्वेता पांडेय मिश्रा ने आरक्षण से प्रभावित मेधावी प्रतियोगियों की दौड़ में पिछड़ जाने की पीड़ा को व्यक्त करने का सफल प्रयास किया। डॉ कादंबिनी सिंह ने अपनी ग़ज़ल ‘कुछ न कुछ राब्ता रहता है हर इक से लेकिन, जी लगा उससे तो जाना की मोहब्बत क्या है’ से तालियां बटोरीं। सुशीला पाल ने चाह कर भी तुझे पा सके हम कहां से अपनी मधुर स्वर में प्रेम में पके हुए मुक्तक एवं गीत सुनकर गोष्ठी को रसमय कर दिया। इस अवसर पर रेवती इंटर कॉलेज प्रिंसिपल अनिरुद्ध सिंह, शिक्षक अनिल सिंह, विजेंद्र प्रताप सिंह, दया मिश्र, पूर्व प्रधानाचार्य कामेश्वर नाथ, जितेंद्र कुमार सिंह, अमित कुमार सिंह, अजय कुमार सिंह, स्वामी नाथ रावत आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता डॉ शशि प्रेम देव ने किया और संचालन श्वेता पांडेय मिश्रा ने किया।