लालबाबू पांडेय
बांसडीह (बलिया) : तहसील में अधिवक्ता संघ द्वारा पिछले गुरुवार से तहसीलदार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। वहीं सोमवार को न्यायिक कार्य का बहिष्कार भी कर दिया गया। तहसीलदार निखिल कुमार शुक्ल ने कहा कि यहां दबंगई की जा रही हैं। लेकिन शासनादेश ही सर्वोपरि है।
सूबे के मुख्यमंत्री का निर्देश है कि मुकदमों में कोई हीलाहवाली नहीं हो। यही वजह है कि शासन की मंशानुरूप जिला प्रशासन जनहित के मामलों को लेकर हर तरह से अलर्ट है। लेकिन बांसडीह तहसील के तहसीलदार निखिल कुमार शुक्ल का आरोप है कि यहां अराजकता फैला दी गई है। शासन स्तर से निर्देश है कि हफ्ता में पांच दिन कोर्ट चलाकर राजस्व वादों का तेजी से डिस्पोजल किया जाय। विशेष रूप से बांसडीह में बहुत पुराने वाद हैं उनके संबंध में गुरुवार को सामान्य रूप से प्रस्ताव दे दिया जाता है। जिसमें सदर तहसील ( बलिया ) के अधिवक्ता भी यहां ( बांसडीह ) आते हैं। वकील संघ का एक व्यू रहता है। उस दिन गुरुवार को इन लोगों का प्रस्ताव आया कि सदर से कोई नहीं आयेगा। किसी के रिश्तेदार खत्म हो गए हैं। तहसीलदार निखिल कुमार शुक्ल ने कहा कि उच्च न्यायालय का स्पष्ट है कि यदि कोई ऐसा केंडोलेंस भी है तो वो शाम पांच बजे से होगा। न्यायिक कार्य में हस्तक्षेप नहीं किया जायेगा। फिर भी हमने इनसे कहा कि ठीक है पुरानी पत्रावलियां हैं न्यायालय की निर्देश के जो डायरेक्शन हैं पांच ,तीन साल की पत्रावलियां हैं। मैं अगले दिन यानी शुक्रवार का डेट लगा देता हूं। बाकी जनरल डेट आप लोग ले लीजिए। लेकिन यहां कोई नियम नहीं दबंगई इतनी है कि अधिवक्ताओं की ही चलेगी। तहसीलदार ने कहा मेरे से बहुत अभद्रता किया गया। चेंबर के बाहर अपशब्दों का प्रयोग किया गया। मारपीट की स्थिति उत्पन्न कर दी गई। ताला जड़ दिया गया। मुझे निकलना मुश्किल हो गया। निकलने नहीं दिया जा रहा था। अधिकारी परेशान थे, वजह कि पूरी तरह से अराजकता का माहौल है।
प्रभारी एसडीएम बांसडीह के कार्यकाल में भी हुआ था विरोध
बांसडीह तहसील में अधिवक्ताओं का विरोध यह नया नहीं है इसके पहले आईएएस अन्नपूर्णा गर्ग जब प्रभारी एसडीएम बांसडीह थीं तब भी जमकर विरोध हुआ था। कई महीनों तक न्यायालय का कार्य नही हो सका था। इससे वादकारियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। उधर बांसडीह के अधिवक्ता पिछले गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किए ,अब सोमवार से कार्य बहिष्कार शुरू हो गया है। तहसील प्रशासन वकील संघ आमने सामने अड़े हुए हैं आम जन के लिए मामलों की सुनवाई या निस्तारण शायद राम भरोसे है। जब कि उच्च न्यायालय शासन का निर्देश है कि जनहित मामलों को जल्दी से निस्तारण हो। आगे क्या होगा समय ही बतायेगा।