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उत्तर प्रदेश देश बलिया

सोमवार को नहीं खुले बैंकों के ताले मंगलवार को भी रहेगी सर्वत्र बंदी ही बंदी

-दो दिनी हड़ताल देशव्यापी
-बैंक कर्मियों के प्रदर्शन का दिखा असर भारतीय जीवन बीमा ने भी दिया साथ

बलिया : 28, 29 मार्च की देशव्यापी हड़ताल का असर बलियया में भी बहुत व्यापक स्तर पर दिखा। सोमवार को बैंकों के ताले नहीं खुले मंगलवार को भी बंदी ही रहेगी। बैंक और बीमा कर्मचारियों ने प्रदर्शन व सभा कर बंदी की मांगों को उजागर किया तथा अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। जिलाधिकारी के प्रतिनिधि के माध्यम से अपनी मांग को सरकार तक पहुंचाने का भी प्रयास किया।

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) के बैनर तले बलिया इकाई की तरफ से एक बाइक जुलूस के रूप में टाउन हॉल से हज़ारो की संख्या में साथी बाइक रैली और पैदल मार्च करते हुए खूब जोर शोर से सरकार के खिलाफ अपनी मांगों के समर्थन में निकाला। यह रैली जिला कलेक्ट्रेट में पहुंचकर प्रशासनिक अधिकारी को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। इस दो दिवसीय हड़ताल जिसमें सीटू से उत्तर प्रदेश सचिव साथी अजीत सिंह,एफ एम आर ए आई से साथी प्रमोद गौड़ एवम साथी रघुबंश उपाध्याय नारो के साथ हड़ताल को जोरदार बनाते हुए बृहद रूप से सरकार तक अपनी बातों को इस हड़ताल के माध्यम से पहुंचने की कोशिश किया। जिसमे 44 श्रम कानूनों को खत्म करके 4 श्रम कोड बनाने का केंद्र सरकार के प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया।

इस हड़ताल के मुद्दे 44 श्रम कानूनों को खत्म करके 4 श्रम कोड बनाने का केंद्र सरकार का प्रस्ताव है जो कि मजदूरों के हक़ में नही है। न्यूनतम वेतन तय करने, दवा के दाम कम करने, दवा से भ्रष्टाचार खत्म करने, स्कीम वर्कर्स एवम आशा,आंगनवाड़ी वर्कर्स को नियमित करने, पुरानी पेंशन लागू करने, निजीकरण को खत्म करने, खाद, बिजली की कीमतें कम करने इत्यादि मुद्दों को लेकर यह हड़ताल हुई।इसमें सभी वर्गों के लोगों ने हड़ताल को सफल बनाने का समर्थन किया।

भारतीय जीवन बीमा निगम का भी समर्थन

देश के विभिन्न श्रमिक संगठनों के आह्वान पर दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के पहले दिन सोमवार को भारतीय जीवन बीमा निगम, बलिया में भी सम्पूर्ण हड़ताल रही। निगम के सबसे बड़े श्रमिक संगठन आल इंडिया इंश्योरेंस इम्प्लाइज एसोसिएशन ने इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल को समर्थन दिया था, जिसके कारण निगम की बलिया शाखा का ताला नहीं खुला। बीमा श्रमिक संगठन के सचिव दिनेश सिंह ने बताया कि यह हड़ताल सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरोध में आयोजित की गयी है। इसमें देश के लगभग 25 करोड़ श्रमिक, मजदूर, किसान, छात्र और कामगार भाग ले रहे हैं। सरकार जिस तरह से अंधाधुंध निजीकरण, सरकारी प्रतिष्ठानों का विनिवेश, श्रम कानूनों को कमजोर करना, बढ़ती महंगाई, बीमा-रक्षा-संचार और खुदरा व्यापार में विदेशी पूंजी की अनुमति दे रही है, उससे देश को बहुत नुकसान हो रहा है। हम सरकार से मांग करते हैं कि वह आम जनता की मुश्किलों को बढ़ाने वाले इन कदमों को वापस ले।

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