शशिकांत ओझा
बलिया : हिन्दू धर्म में डाला छठ और चैती छठ को आस्था का महापर्व माना जाता है। सोमवार को उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चैती छठ का पर्व पूरा हुआ।
चैती छठ सभी लोग भले नहीं करते पर जो महिलाएं करती हैं उतने ही श्रद्धा के साथ व्रत और पूजा करती हैं। शुक्रवार को नहाय खाय, शनिवार को खरना और रविवार को पूरे दिन निर्जला व्रत कर महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया।
सोमवार की सुबह सूर्योदय से लगभग एक घंटा पहले ही महिलाएं पूजा स्थल पर आ गईं। डाला छठ की तरह पूजा का घाट और गंगा किनारे जाने से की महिलाओं ने अपने दरवाजे पर या छत पर ही प्रतीक तालाब और पोखरा बनाया। मंगलमयी छठ मईया का गीत खाते हुए महिलाओं ने भगवान के प्रकट होने की प्रतिक्षा की। जैसे ही भगवान भाष्कर का उदय हुआ उन्हें अर्घ्य देने के साथ महाव्रत पूरा हुआ। उसके बाद महिलाओं ने एक दूसरे के आंचल में प्रसाद खोइछा दिया। व्रत पूरा होने के बाद महिलाओं ने परायण किया।