शशिकांत ओझा
बलिया : जनपद में आयोजित होने वाले पौराणिक एवं धार्मिक महत्व के मेले जिसका नामकरण महर्षि भृगु जी ने अपने प्रिय शिष्य, महर्षि दर्दर मुनि के नाम पर किया था। उसी पौराणिक ददरी मेले को राजकीय मेला घोषित करने के लिए जिलाधिकारी ने शासन को पत्र लिखा है।
ददरी मेले के शुरुआती दिन कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान व महर्षि भृगु का दर्शन तथा गंगा आरती में प्रतिभाग के लिए श्रद्धालुओ के आने सहित महीने भर चलने वाले ददरी मेले में लगभग 50 लाख लोग, आस-पास के क्षेत्र एवं देश के कोने-कोने से बलिया आते हैं। मेले के अन्तर्गत लगने वाला मीना बाजार, क्षेत्र में व्यापार को द्रुतगति प्रदान करता है। ददरी मेले में लगभग 30 करोड़ रूपये का व्यापार मीना बाजार के माध्यम से होता है। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन ‘‘भारतेंदु मंच’’ पर किया जाता है, जिसके माध्यम से देश-प्रदेश के प्रसिद्ध कलाकार अपना प्रदर्शन कर चुके हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन से मुख्य मेले का आरम्भ होता है, जिसे ‘‘मीना बाजार’’ के नाम से जाना जाता है। मीना बाजार का नाम मुगल बादशाह अकबर के द्वारा रखा गया था। मीना बाजार का संचालन भी 20 दिनो तक होता है। मान्यताओं के अनुसार सभी प्रकार के यज्ञ अश्वमेध, विष्णु, रुद्र, लक्ष्मी आदि के करने एवं उनमें दान देने से जो पुण्य प्राप्त होते है,वह सारे पुण्य दर्दर क्षेत्र के स्पर्श मात्र से प्राप्त हो जाते है। ददरी मेला में दंगल, चेतक प्रतियोगिता, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, कौव्वाली, मुशायरा, लोकगीत खेलकूद का आयोजन किया जाता है। मेले में संत समागम भी होता है। ददरी मेला को राजकीय मेले का दर्जा प्राप्त होने से न केवल इस सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण होगा,बल्कि मेले में जन सुविधाओ का भी विस्तार हो सकेगा। इसके साथ ही साथ बलिया की इस अमूर्त विरासत की ख्याति देश व प्रदेश स्तर पर बढ़ जाएगी। जनपद में आयोजित होने वाले प्रसिद्ध ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक ददरी मेले को राजकीय मेला घोषित करने के सम्बन्ध में जिलाधिकारी ने शासन को पत्र लिखा है। इस आशय की जानकारी मुख्य राजस्व अधिकारी प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय त्रिभुवन ने दी है।