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स्वच्छता और जागरूकता से ही हारेगा दिमागी बुखार : डा. सिद्धार्थ मणि दुबे

-चर्चा बाल स्वास्थ्य की
-मच्छर जनित बीमारी होने के कारण बरसात के दिनों में बढ़ जाते हैं मरीज
-अपने आसपास की स्वच्छता ही है बचाव की कुंजी

शशिकांत ओझा


बलिया : दिमागी बुखार को चमकी बुखार, नवकी बीमारी, एन्सेफेलाइटिस आदि कई नामों से जाना जाता है। इस बीमारी से बचाव के लिए इसके लक्षणों को जानना, उनसे बचाव करना और अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखना बहुत जरूरी है। उक्त बातें जिला महिला अस्पताल स्थित प्रश्वोत्तर केंद्र पर तैनात वरिष्ठ नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सिद्धार्थ मणि दुबे ने कही।


डॉ दुबे ने जनमानस से अपील की है कि दिमागी बुखार के प्रति सावधानी रखें एवं अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें ताकि बच्चों को इस खतरनाक बीमारी से बचाया जा सके। एन्सेफेलाइटिस 15 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है। डॉ दुबे ने बताया कि इंसेफेलाइटिस या दिमागी बुखार वास्तव में मानव मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी है। मानव मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं और तंत्रिकाएं होती हैं। इन्हीं कोशिकाओं के संक्रमण और सूजन से मस्तिष्क में जो बीमारी (एवं उनसे जुड़े अनेक लक्षण) होती हैं को एक्यूट एन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम(एईएस) कहते हैं। यह एक संक्रामक बीमारी है। दिमागी बुखार के रोग कारक जब मस्तिष्क में संक्रमण कर देते हैं तो दिमागी बुखार के लक्षण जैसे तेज बुखार आना, बच्चों के शरीर में ऐंठन हो जाना, शरीर का चमकना (झटके आना), पूरे शरीर/ सिर में दर्द होना, मितली या उल्टी आना, मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना, चलने में परेशानी होना/लकवा जैसे लक्षणों का प्रकट होना, बच्चों का लगातार बड़बड़ाना और बेहोश हो जाना आदि प्रमुख लक्षण है। कुछ बच्चों में प्रकाश से डर (फोटोफोबिया) जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। डॉ दुबे ने बताया कि यदि किसी बच्चे में उपरोक्त में से कोई भी लक्षण दिखाई दें तो उसे शीघ्रताशीघ्र नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं और चिकित्सकीय परामर्श में ही उसका उचित इलाज कराएं। बच्चे को एक शांत कमरे में, रोशनी से दूर आराम करने दे। यदि बच्चे को झटका आ रहा है तो उसे दाएं या बाईं करवट लेटा कर ही अस्पताल ले जाएं। उसकी गर्दन को सीधा रखें और अगर मुंह में झाग/लार निकल रहा है तो उसे समय समय पर साफ करते रहें ताकि बच्चे को सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो।

कैसे करें दिमागी बुखार से बचाव

* दिमागी बुखार से बचाव के लिए अपने बच्चों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर दिमागी बुखार का टीका निर्धारित समय पर अवश्य लगवाएं।इस बीमारी के रोगनिरोध मे इस टीके का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।
* बच्चों को अत्यधिक गर्मी/धूप से दूर रखें एवं शरीर में पानी की कमी ना होने दें। उन्हें ताजा पका हुआ पौष्टिक और सुपाच्य भोजन खिलाएं।
* बच्चों को पूरा शरीर ढकने वाले कपड़े पहनाए। मच्छरदानी का उपयोग करें एवं आसपास के वातावरण को हमेशा स्वच्छ बनाए रखें।