रविशंकर पांडेय
बांसडीह (बलिया) : सरकार चिकित्सा व्यवस्था सुधारने में कोई कोर कसर नही छोड़ रही है लेकिन बांसडीह कस्बा स्थित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल की बात करें तो वह खुद पर आंसू बहा रहा है। यहां बिजली का कनेक्शन जरूर है लेकिन पंखा तक नहीं चलता। वजह कि पॉवर ज्यादा रहता है। नलका तो है लेकिन पानी नहीं। अस्पताल तो 15 बेड का है लेकिन एक भी बेड सही नहीं। आलम है अस्पताल किसी टापू से कम नहीं।
बलिया में अस्पताल जरुर हैं किंतु ध्यान शायद किसी का नहीं है। यही वजह है कि स्थानीय कस्बा स्थित गढ़ पर राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल सुविधाओं से कोसो दूर है। विडंबना यह भी है कि उक्त अस्पताल किराया पर है जब कि सरकार ने पहले आदेश जारी किया था कि कोई अस्पताल किराया पर नहीं चलेगा। प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ ज्योति ने बताया कि इतना ऊंचाई पर है कि सांस के मरीजों को ऊपर चढ़ने में दिक्कत होती है। हालांकि मरीजों का उपचार होता है। चिकित्साधिकारी ने कहा कि बिजली का कनेक्शन जरूर है लेकिन ज्यादा पॉवर होने के चलते पंखा तक नहीं चलता है। इस अस्पताल को अन्यत्र जगह ले जाने के लिए उपजिलाधिकारी बांसडीह दीपशिखा सिंह से मिलकर आग्रह की थी ताकि मरीजों को अच्छी व्यवस्था मिल सके।