-नगर पालिका परिषद बलिया में थे तैनात
-कई वर्षों से अपनी गतिविधियों को लेकर थे चर्चित, शासन से राज्यपाल तक थी शिकायत
बलिया : अपनी मनमानी गतिविधियों के लिए वर्षों से चर्चित नगर पालिका परिषद बलिया के अधिशासी अधिकारी दिनेश विश्वकर्मा पर अंततः निलंबन की गाज गिर ही गई। निलंबन अवधि में उन्हें लखनऊ नगर निकाय निदेशालय से संबधित कर दिया गया है। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं।
ईओ दिनेश विश्वकर्मा पर बहुत दिनों से भ्रष्टाचार की शिकायतें जिला स्तर से लेकर शासन स्तर तक और नगर विकास मंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल तक पहुंच रही थी। कार्यवाही नहीं होने से ईओ दिनेश विश्वकर्मा अपना कार्य निर्वाध कर रहे थे। ईओ पर गाज गिरने से नगर पालिका सहित पूरे जिले में हड़कंप की स्थिति है। चर्चा है कि आखिर उनका विकेट कैसे गिरा। सनद रहे ईओ के भ्रष्टाचार की शिकायत खुद चेयरमैन अजय कुमार समाजसेवी ने भी की थी । क्योंकि ईओ विश्वकर्मा बिना चेयरमैन के हस्ताक्षर के ही कार्यों को करा रहे थे। ईओ को राज्यपाल के आदेश पर शासन ने निलंबित किया है। इस अवधि में ईओ निदेशालय उप्र लखनऊ के कार्यालय से सम्बद्ध रहेंगे।
पूर्व मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल को भी वजन नहीं दिया था ईओ साहब ने
नगर पालिका परिषद बलिया के ईओ शासन में कहीं न कहीं बहुत मजबूत हैं। शायद इसीलिए विरोध के बाद भी पद पर बने हुए थे। पिछले दिनों जब नगर पालिका के भारी जलजमाव था और लोगों को काफी परेशानी थी तब वह किसी को सुनते ही नहीं थे। चेयरमैन को न सुनना तो उनकी आदत थी उन्होंने ने प्रदेश सरकार के तत्कालीन मंत्री और नगर विधायक रहे आनंद स्वरूप शुक्ल को भी वजन नहीं दिए। तत्कालीन मंत्री भी इनका कुछ नहीं कर पाए। ईओ दिनेश विश्वकर्मा को एक बखर नगर पंचायत चितबड़ागांव का चार्ज भी मिला था पर ईओ एक दिन भी नगर पंचायत कार्यालय नहीं पहुंचे। चितबड़ागांव के चेयरमैन और कर्मियों को बलिया आना पड़ता था।
…अब पति पत्नी की नौकरी नाटक भी नहीं चलेगा
ईओ दिनेश विश्वकर्मा की पत्नी भी शासकीय शिक्षक हैं। दिनेश इसी का फायदा लिए। पति-पत्नी एक जगह रहते हैं कि शासनादेश के सहारे वे रुके भी। एक बार कहीं जाने का मन था तो पहले पत्नी का स्थानांतरण विभागीय सिस्टम से कराए। इनका नहीं हुआ तो पत्नी वाला निरस्त करा लिए। अब निलंबन अवधि में पत्नी शिक्षक है वाला बहाना नहीं चलेगा लखनऊ जाना ही होगा।