Advertisement
7489697916 for Ad Booking
उत्तर प्रदेश पूर्वांचल बलिया राज्य

पारंपरिक लोक संगीत मंगनियार और लोकनृत्य कालबेलिया से मंत्रमुग्ध हुआ सनबीम बलिया का प्रांगण

-आधुनिकता संग प्राचीन ज्ञान

-कोरोना काल में विराम के बखद गस वर्ष प्रारंभ हुआ “स्पीक मैके” का आयोजन

Advertisement
7489697916 for Ad Booking

बलिया: वर्तमान समय में सबसे आगे निकलने की होड़ में तथा आधुनिक कलाओं के अंधानुकरण में देश की प्राचीन संस्कृति तथा पारंपरिक लोक कलाएं विलुप्त होने के कगार पर आ गई हैं। ऐसे में अपने विद्यार्थियों को परंपराओं से जोड़े रखकर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षित करने का कार्य नगर के अगरसंडा ग्राम स्थित सनबीम स्कूल में किया जा रहा है जो कि अत्यंत सराहनीय है। यह विद्यालय अपने विद्यार्थियों को जहां एक ओर विभिन्न प्रतियोगिताओं हेतु तैयार करता रहता है वहीं दूसरी ओर  उन्हे अपनी प्राचीन  सभ्यताओं, वैदिक संस्कृति तथा लोक कलाओं से जोड़े रखने हेतु समय समय पर  इससे जुड़े कार्यक्रम आयोजित करता है जिसमे मुख्य रुप से प्रतिवर्ष *स्पीक मैके* (सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक  एंड कल्चरल एमंगस्ट यूथ) का आयोजन है। विद्यालय द्वारा प्रत्येक शैक्षणिक सत्र में इसका आयोजन किया जाता है किंतु  कोरोनाकाल के कारण पिछले दो सालों से यह कार्यक्रम आयोजित नहीं हो पाया था।

29 अप्रैल 2022 को विद्यालय प्रांगण में स्पीक मैके का आयोजन बड़े उत्साह के साथ किया गया जिसमे राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार प्राप्त खेते खान तथा उनकी टीम ने राजस्थानी लोकसंगीत मंगनियार तथा लोक नृत्य कालबेलिया का कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

 कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन तथा गणेश वंदना के साथ किया गया। विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष संजय कुमार पांडेय, सचिव अरुण कुमार सिंह तथा निदेशक डॉ कुंवर अरुण सिंह ने खेते खान तथा उनके समस्त सहयोगियों को पुष्प गुच्छ तथा स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। तत्पश्चात मंच पर उपस्थित कलाकारों ने अपने कार्यक्रम में मंगनियार संगीत के विभिन्न रूपों की मनमोहक छवि प्रस्तुत की जिससे संपूर्ण विद्यालय प्रांगण संगीतमय तथा राजस्थानी वातावरण  में ढल चुका था।.कार्यक्रम की समाप्ति पर विद्यार्थियों ने अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए  संगीत से संबंधित कई प्रश्न पूछे जिसमे संगीत का रस, प्रयोग किए गए वाद्ययंत्र के नाम आदि शामिल थे।

खेते खान ने विद्यार्थियों को बताया कि मंगनियार संगीत वीर रस पर आधारित है तथा इसमें मुख्य रूप से सारंगी, ढोलक, खड़ताल, मंजीरा का प्रयोग किया जाता है। इस अवसर पर विद्यालय के अभिभावकों की उपस्थिति तथा सहभागिता भी सराहनीय रही।  इस अवसर पर विद्यालय निदेशक डॉ. अरुण सिंह गामा  ने कहा कि हमारी परंपराएं तथा लोक कलाएं हमारी धरोहर है तथा नवीन पीढ़ी को इनके विषय में जानकारी देना हमारा कर्तव्य है। अतः इस धरोहर को बचाए रखने एवं उनके गौरव के लिए हमें सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने हेतु  विद्यालय प्रशासक संतोष कुमार चतुर्वेदी, हेडमिस्ट्रेस ज्योत्सना तिवारी, समन्वयक पंकज सिंह, समन्वयिका क्रमशः सहर बानो, नीतू पांडेय, निधि सिंह तथा समस्त शिक्षक गणों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

Advertisement
7489697916 for Ad Booking