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सांसद नीरज शेखर की पुत्री रानिया शेखर ने कराया 750 छात्राओं का नेत्र परीक्षण

-समाजसेवा का कार्य

-देवस्थली विद्यापीठ के परिसर  में रविवार को हुआ नेत्र परीक्षण

-वाराणसी सिंह मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर की टीम ने किया परीक्षण

-जिन जिन छात्राओं को है आवश्यकता उन्हें दिया जाएगा निशुल्क चश्मा

बलिया : राज्यसभा सांसद नीऋज शेखर की पुत्री रानिया शेखर ने अपनी संस्था यंग फार साइट की ओर से देवस्थली विद्यापीठ में रविवार को 750 से अधिक छात्राओं का नेत्र परीक्षण कराया। जिन्हें जिन्हें आवश्यकता है उन्हें निशुल्क चश्मा भी वितरित जाएगा। नेत्र परीक्षण वाराणसी सिंह मेडिकल के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने किया। बलिया की चिकित्सा टीम ने उनका सहयोग किया।

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सनद रहे कोविड काल में सपरिवार कोरोना पाजिटिव होने के बाद रानिया को लंबे समय घर में ही रह कर पढाई और अन्य कार्य आनलाइन ही करना पड़ा। लंबे समय तक कंप्यूटर और लैपटॉप पर रहने के कारण उसकी आंखों को ज्यादा नुकसान हुआ। उसे चश्मा भी लगाना पड़ा। इस दर्द को जब रानिया ने महसूस किया तो उसे लगा सभी को इस तरह का दर्द और दिक्कत हुई होगी। रानिया शेखर ने अपने सहयोगी के साथ एक संस्था बनाई। संस्था ने आनलाइन माध्यम से लोगों से सहयोग मांगा और मिल गया तो उन्होंने देवस्थली विद्यापीठ में नेत्र परीक्षण और चश्मा वितरण कार्यक्रम की शुरुआत की। 

देवस्थली विद्यापीठ में रविवार को बच्चों को बुलाया गया और कक्षावार नेत्र परीक्षण हुआ।देवस्थली विद्यापीठ विद्यालय परिवार और छात्राओं ने रानिया शेखर को धन्यवाद ज्ञापित किया। नेत्र परीक्षण कार्यक्रम में नीरज शेखर सांसद की टीम व्यवस्था में जुटी रही। धर्मवीर सिंह, अदालत सिंह, अमित गिरि, श्रीभगवान यादव आदि व्यवस्था में रहे।

यह रही चिकित्सकों की टीम

नेत्र परीक्षण में डा. नितेश उपाध्याय, डा. अभिषेक कुमार, डा. अमर सिंह, डा. शिक्षा मिश्रा, डा. निधि पांडेय (सभी सिंह मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर वाराणसी) तथा डा. फैय्याज अहमद नगरा, डा. रमेश राम चिलकहर और डा. दीपक चौबे शामिल रहे।


खुद पर आई परेशानी तो दिमाग में ऐसा करने को : रानिया

बलिया : राज्यसभा सांसद की पुत्री और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की पौत्री रानिया शेखर ने मीडिया को बताया कि जब खुद की आंखों में परेशानी आयी तो दिल दिमाग में ऐसा करने का मन हुआ। सेवा के क्षेत्र में मन जाने के पीछे उन्होंने अपने पिता और दादा जी को इसकी प्रेरणा का केंद्र बताया। कहा कि अपने एक सहयोगी के साथ मिलकर संस्था बनाई और यह कार्य शुरू किया। कहा कि बच्चियों के अधिक से अधिक सुविधा देना लक्ष्य है। कहा कि मेरा पूरा परिवार ही सेवा के क्षेत्र में है तो दिमाग में यह रहेगा ही।

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