-धार्मिक आयोजन
-गायत्री परिजनों ने किया गंगा में सामुहिक स्नान, पंच कुंडीय यज्ञ और गंगा गायत्री चलीसा पाठ
शशिकांत ओझा
बलिया : ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन गायत्री जयंती एवं गंगा दशहरा के महापर्व पर जनपद के गायत्री परिवार के सदस्यों ने विविध धार्मिक आयोजन किया। प्रातः ही सामुहिक गंगा स्नान, सूर्य अर्धदान, दीपदान, गंगा एवं गायत्री चालीसा और आरती का दिव्य व भव्य आयोजन किया। गायत्री शक्तिपीठ में पंच कुंडीय आयोजन व प्रसाद वितरण किया गया।
गंगा दशहरा के पावन पर्व पर सुबह ही गायत्री परिवार के सदस्य गंगा तट पर पहुंचे। मां गंगा को नमन करने के बाद सामुहिक स्नान किया। पूजन के पश्चात सभी सदस्य गायत्री शक्तिपीठ परिसर पहुंचे और वहां यज्ञ कर मां गायत्री जयंती का पर्व भी मनाया। परिजनों को गायत्री परिवार के संस्थापक श्रीराम शर्मा आचार्य का संदेश सुनाया गया।
संदेश में सृष्टि के आदि में ब्रह्मा जी जिस शक्ति की साधना करके विश्व संचालन के उपयुक्त ज्ञान एवं विज्ञान, अनुभव एवं पदार्थ प्राप्त कर सकने में समर्थ हुए, पौराणिक प्रतिपादन के अनुसार उसका नाम गायत्री है। सृजन और अभिवर्धन का उद्देश्य लेकर चल रही जीवन प्रक्रिया को भी इसी सम्बल की आवश्यकता है, जो ब्रह्मा जी की तरह उसे मानसिक क्षमता एवं भौतिक सम्पन्नता युक्त कर सके। गायत्री मन्त्र में वे तत्त्व बीज मौजूद हैं। उपासना और तपश्चर्या के विधान को अपनाकर इन तत्त्वों को वैज्ञानिक रूप से अपने भीतर-बाहर बढ़ाया भी जा सकता है।
गायत्री को वेदमाता, ज्ञान गंगोत्री, संस्कृति की जननी एवं आत्मबल की अधिष्ठात्री कहा जाता है। इसे गुरुमन्त्र कहते हैं। यह समस्त भारतीय धर्मानुयायियों की उपास्य है। इसमें वे सभी विशेषताएँ विद्यमान हैं, जिनके आधार पर वह सार्वभौम, सार्वजनीन उपासना का पद पुनः ग्रहण कर सके। को विस्तार से सुनाया गया। गायत्री शक्तिपीठ के प्रभारी विजेंद्र नाथ चौबे ने सभी का आभार जताते हुए साधुवाद दिया।