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उत्तर प्रदेश देश पूर्वांचल बलिया राज्य

सिकंदरपुर में आशाओं और कुछ सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों की वजह से ही फल फूल रहे अवैध और निजी अस्पताल

-हाल सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का

-जिला अस्पताल के बाद सर्वाधिक चिकित्सकों की है यहां पर तैनाती

-मरीजों को यहां पहुंचने नहीं दे रहे कुछ स्वास्थ्य कर्मी और कुछ आशाएं

शशिकांत ओझा

बलिया : जिलाधिकारी पूरे जनपद में अवैध संचालित अस्पताल और अल्ट्रासाउंड सिस्टम के अभियान चलवा रहे हैं पर फूलों की नगरी सिकंदरपुर में उन्हीं के नियंत्रण वाले कुछ स्वास्थ्य कर्मी और तथाकथित आशाओं की वजह से सीएचसी सिकंदरपुर मरीजों से दूर है। कारण मरीजों को बरगला कर यही अवैध और निजी अस्पताल में पहुंचा दे रहे हैं। जिला अस्पताल के बाद सर्वाधिक चिकित्सकों की तैनाती वाला यह स्वास्थ्य केंद्र भी मरीजों की मदद नहीं कर पा रहा है कारण कि विभागीय कर्मियों की मंशा ही यहां ठीक नहीं है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिकंदरपुर मे महिला चिकित्सक समेत सर्जन और विशेषज्ञ के रूप में बाल रोग विशेषज्ञ भी उपलब्ध मौजूद हैं। इस अस्पताल पर तकरीबन एक महीना पहले तक महिला सर्जन डॉ रूबी के द्वारा सीजर ऑपरेशन के माध्यम से चार दर्जन से अधिक बच्चा पैदा भी कराया गया पर यही आशाओं और स्वास्थ्य कर्मियों को खटक गया। डॉ दिग्विजय भी मरीजों का काफी ख्याल रखते हैं। ये सारे ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए गए लेकिन इनके इस कार्य से प्राइवेट अस्पतालों में खलबली सी मच गई।

फिर अपना जुगाड़ लगाते हुए कुछ आशाओं अस्पताल के कर्मचारियों व बाहर के दुकानदारों के साथ अंदरूनी सांठगांठ कर फिर से अपने प्राइवेट अस्पतालों में जनता का शोषण करने के लिए सीजर द्वारा बच्चा पैदा कराने के लिए अपने अस्पतालों की तरफ रुख कर आया। जिसकी वजह से सरकारी अस्पताल पर सिजेरियन का काम पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। सिजेरियन द्वारा बच्चा पैदा कराने का ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को जो लाभ मिलना चाहिए वह प्राइवेट अस्पतालों को मिलना शुरू हो गया। उसके वजह से उनकी भी चांदी कटने लगी और उनके साथ  उनका सहयोग करने वाले आशा बहुओं कर्मचारियों,व दुकानदारों की जेब भी गर्म होने लगी। 

सीजेरियन प्रेग्नेंसी शुन्य की आखिर क्या है वजह

आखिर क्या वजह है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सीजेरियन द्वारा बच्चा पैदा कराने की दर एकाएक जीरो हो गया। यानी सीधे तौर पर कहा जाय तो ये ऊपर से लेकर नीचे तक जितने अधिकारी व कर्मचारी  है उनका फेलियर माना जा सकता है। जिसकी वजह से सिजेरियन द्वारा बच्चा पैदा करने की दर आज करीब महीनों से जीरो पड़ा है। इस वजह से मरीजों का प्राइवेट अस्पतालों में जमकर शोषण तो होता ही है और बिना डर के एकदम से सिरियस मरीजो को अपने अस्पताल में भर्ती कर मुहमांगी रकम वसूलते है। और गारण्टी भी नही होती कि मरीज बचेगा भी की नही। अगर मुख्यमंत्री योगी के सपनो को साकार करना है तो इन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व अन्य सरकारी अस्पतालों पर अधिकारियों को बहुत ध्यान देना होगा जिससे योगी सरकार के सपनो को साकार किया जा सकेगा। 

स्वास्थ्य कर्मियों व आशाओं को चिन्हित करने का काम शुरू : सीएमओ

इस सम्बंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. जयंत कुमार ने बताया कि शीघ्र ही सिकंदरपुर और आसपास संचालित निजी अस्पतालों की सघन जांच होगी और जो अवैध मिला उसकी खैर नहीं। कहा कि ज्ञात तथ्यों के बाबत स्वास्थ्य कर्मियों और आशाओं को चिन्हित करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। उन सभी पर भी गंभीर कार्रवाई होगी।

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