-जेएनसीयू में संवाद सम्मान कार्यक्रम
-वर्तमान शैक्षणिक परिदृश्य और शिक्षक संगठन : चुनौतियाँ एवं संभावनाएं विषय पर चर्चा
शशिकांत ओझा
बलिया : जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता के कार्यकाल के एक वर्ष तथा जनकुआक्टा संगठन के कार्यकाल को दो वर्ष पूर्ण होने पर बड़ा आयोजन बुधवार को जननायक विश्वविद्यालय के जयप्रकाश नारायण सभागार में हुआ। सम्मान समारोह के साथ आयोजित संवाद कार्यक्रम में वक्ताओं के बड़े बड़े विचार आए। आयोजन के मुख्य अतिथि प्रो. पंकज कुमार सिंह, पूर्व अध्यक्ष, पूर्वांचल विश्वविद्यालय-महाविद्यालय शिक्षक संघ रहे।
संवाद कार्यक्रम अपने चयनित विषय ‘वर्तमान शैक्षणिक परिदृश्य और शिक्षक संगठन: चुनौतियाँ एवं संभावनाएं पर काफी उंचाई तक गया। मुख्य अतिथि प्रो. पंकज कुमार सिंह ने कहा कि भारतीय परंपरा संवाद की परंपरा है। भारत विविधताओं का देश है। यहां की विविधताओं के अनुरूप ही हम सृजनशील समाज का निर्माण करें। जनकुआक्टा के अध्यक्ष प्रो. अखिलेश राय ने कहा कि शिक्षकों के आपातकाल में सहयोग के लिए एक कल्याण कोष होना चाहिए तथा विवि स्तर पर सभी शिक्षकों के ब्लड ग्रुप का डाटा उपलब्ध होना चाहिए। जनकुआक्टा के महामंत्री डाॅ. अवनीश चंद्र पाण्डेय ने कहा किशासन-प्रशासन की शिक्षक विरोधी नीतियों का शिक्षक संघ द्वारा विरोध किया जाना चाहिए। विषय प्रवर्तन करते हुए जनकुआक्टा के उपाध्यक्ष डाॅ. विमल कुमार ने शिक्षकों के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का उल्लेख किया। कहा कि नयी शिक्षा नीति के कारण वर्तमान शिक्षा व्यवस्था एक प्रयोगशाला बन कर रह गयी है।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति ने कहा कि विवि शिक्षक संघ का नाम जनकुआक्टा होना कई अर्थ रखता है। जन शब्द का अर्थ व्यापक है। किसी भी संगठन में जन के ही कल्याण का विचार सन्निहित है। संगठन में मत विभिन्नता हों लेकिन मन विभिन्नता नहीं होनी चाहिए। हमारा ध्येय वाक्य भी है कि सबके मन एक हों। प्रेम से ही किसी को जीता जा सकता है, संघर्ष से नहीं। विश्वविद्यालय संगीत विभाग ने बेहतर कुलगीत औऋ स्वागत गीत प्रस्तुत किया।
स्वागत व्यक्तव्य डाॅ. पुष्पा मिश्रा, निदेशक शैक्षणिक, संचालन डाॅ. अजय कुमार चौबे तथा धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. प्रियंका सिंह, कुलानुशासक ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव एसएल पाल, प्रो. गौरीशंकर द्विवेदी, प्रो. आरएन मिश्र, जनकुआक्टा के ज़ोनल सेक्रेटरी डाॅ. भारतेंदु मिश्र, प्रो. साहेब दूबे, प्रो. जैनेंद्र पाण्डेय, प्रो. बृजेश सिंह, प्रो. धर्मात्मानंद, प्रो. ओपी सिंह एवं महाविद्यालयों के प्राध्यापक, प्राचार्य, प्रबंधक आदि उपस्थित रहे।