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महर्षि भृगु की धरती बलिया के गंगा तमसा संगम तट पर लाखों ने लगाई आस्था की डुबकी

-कार्तिक पूर्णिमा स्नान

-जिला प्रशासन व पुलिस विभाग की महीने भर की मेहनत हुई सफल

-सकीशल संपन्न हुआ पावन स्नान का पर्व, पूर्वांचल भर से आए श्रद्धालु

शशिकांत ओझा

बलिया : महर्षि भृगु की धरती के रूप में विख्यात बलिया के गंगा तमसा संगम तट पर लगने वाला कार्तिक पूर्णिमा का पावन स्नान सोमवार को संपन्न हुआ। कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर भक्तों के आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। पूर्वांचल भर से पधारे लाखों भक्तो ने आस्था की डुबकी लगाई और महर्षि भृगु का दर्शन किया।

महर्षि भृगु की पावन धरती पर लाखों लोगों ने गंगा के पावन जल में पुण्य की डुबकी लगाई। स्नान के बाद अन्न व वस्त्र दान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। आस्थावानों ने महर्षि भृगु, दर्दर मुनि व बाबा बालेश्वर के मंदिर में जाकर मात्था टेका। पौराणिक काल से ही भृगुक्षेत्र में कार्तिक पूर्णिमा को जन समागम की उदात्त, अलौकिक परंपरा चली आ रही है।

सुबह से दोपहर तक श्रद्धालुओं का जो रेला संगम तट की तरफ चला, वह दोपहर बाद तक चलता रहा। शहर के पास तक ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालु आकर महावीर घाट के रास्ते पैदल संगम तट तक पहुंचे। इसके बाद वहां स्नान कर गंगा मइया का पूजन-अर्चन करने के बाद फिर पैदल ही शहर की तरफ आ गए। देर शाम श्रद्धालु विभिन्न साधनों से अपने घर के लिए निकले। मोटरी-गठरी लिए लोग चलते रहे, बस चलते रहे। गांव में बढ़ा शहरी प्रभाव भीड़ के कुछ जनों की पीठ पर बैग और पहनावे से ही झलकता रहा।

महिलाएं लोकगीत और गंवई भजनों से माहौल को दिव्य बना रही थीं। स्नानार्थियों को किसी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए जिला प्रशासन भी हर मोड़ पर पूरी मुस्तैदी से सेवा में जुटा रहा। शहर में विभिन्न जगहों पर नो एंट्री कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के दृष्टिगत शहर के चारों तरफ प्रशासन द्वारा नो एंट्री लगा दी गयी थी। ऐसे में विभिन्न साधनों से पहुंच रहे श्रद्धालु नो एंट्री वाली जगहों से पैदल ही गंगा तटों पर पहुंच रहे थे।

यह सिलसिला रात से लेकर अनवरत जारी रहा। स्नानार्थियों की सेवा और जलपान आदि की व्यवस्था के लिए विभिन्न संस्थानों, पार्टियों, समाजसेवियों सहित अन्य द्वारा जगह-जगह सेवा शिविर लगाया गया था। जिन रास्ते से श्रद्धालु स्नानार्थ थी जा रहे थे शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के उस रास्तों पर सेवा शिविर लगे हुए थे। यहां वॉलिंटियर स्नानार्थियों की सेवा में लगे हुए थे। गंगा तटों पर भी जगह-जगह सेवा शिविर लगे थे। जिला प्रशासन द्वारा भी स्नानार्थियों के लिए पेयजल, चेंज रूम आदि की व्यवस्था की गई थी। महापर्व पर स्नानार्थियों को कोई परेशानी न हो इसके दृष्टिगत पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहा। जिला प्रशासन द्वारा गंगा तटों पर गोताखोर, नाव आदि की व्यवस्था की गयी है। सबसे पहले साधु-संतों ने स्नान किया। कार्तिक पूर्णिमा स्नान के पूर्व संध्या पर शिवरामपुर घाट (संगम तट) पर गंगा महाआरती का आयोजन हुआ। वाराणसी से आए ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच आरती कराई। सूरज ढलते ही गंगा-तमसा के तट दीपों की रोशनी से जगमगा उठे। महाआरती को देखने के लिए नगर के अलावा आसपास के गांवों के लोग काफी तादाद में पहुंचे थे। गंगा-तमसा तट पर महिला और पुरुषों ने गंगा किनारे दीपक जलाएं और गंगा की धारा को स्वच्छ रखने का संकल्प लिया।

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