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कविता—बीत गया सो बीत गया

बीत गया सो बीत गया, भविष्य आया अतीत गया।

जब मृत्यु हुआ कुछ लोगों का, तब जन्म हुआ नव शिशुओं का। 

छूटा साथ कहीं अपनों का, तो मिला साथ कहीं परायों का। 

किस बात का शोक करूं मैं, किस बात का हर्ष करुं मैं। 

किस्मत की मैं धनी नहीं, कर्म से अभी मैं थकी नहीं। बीत गई सो बात गई। 

दुख की बेड़ियां सब कट गई, कली पर अली मंडराती रही। कली नष्ट हुई फिर कहां खिली।

कष्ट तनिक ना उस अली को अब, दूजी कली भी खिल गई अब। 

माना वक्त था बुरा अली का, अब होगा सुखद सवेरा अली का।

बीत गया सो बीत गया, भविष्य आया अतीत गया।

मानवी सिंह (कक्षा-11)

श्री शिव प्रसाद गुप्ता इंटर कालेज टीकादेवरी नगपुरा, बलिया