

बलिया : कुँवर सिंह इण्टर कॉलेज के शिक्षकों-कर्मचारियों ने, स्वाभिमान, सत्साहस एवं स्वाधीनता के प्रतीक भारत माँ के अमर सपूत महाराणा प्रताप की जयन्ती भव्यता पूर्वक बड़े ही सम्मान के साथ मनाया। इस अवसर पर सभी ने उनके तैल चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए उनके कारनामों को याद किया।

उक्त अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने सिसौदिया वंश के महान योद्धा के कारनामों का उल्लेख करते हुए उन्हें भारत में छापामार युद्ध पद्धति का सफलतापूर्वक प्रयोग करने वाला पहला अपराजेय योद्धा कहा। सभा को सम्बोधित करते हुए शिक्षक-कवि डॉ शशि प्रेमदेव ने राणा प्रताप को लगभग एक दशक तक साम्राज्यवादी सम्राट अकबर से लोहा लेने और उसके दंभ को चूर-चूर करने वाला महानायक बताया। हिन्दी शिक्षक अनुज सिंह ने कहा कि भारत के इतिहास में महाराणा प्रताप, शिवाजी तथा बाबू कुँवर सिंह ही संभवतः ऐसे लड़ाके हुए हैं जिन्होंने अपने सीमित संसाधनों और हैसियत के बावजूद अपने शत्रु को नाकों चने चबवा दिए थे । सभा में , विजय बहादुर सिंह,जयंत सिंह, सुदर्शन सिंह ,संतोष पाण्डेय , विशाल कुमार सिंह , भूपेंद्र सिंह, अनिल कुमार सिंह, रामलाल तिवारी, अंगद यादव, आदित्य कुमार, नन्दन कुमार,विमल तिवारी, राजीव कुमार , पंकज यादव , रवि वर्मा, कुमारी पल्लवी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सरस्वती वन्दना दीपक तिवारी ने तथा संचालन राजेश कुमार सिंह ने किया।

जयंती पर याद किए गए महाराणा प्रताप
अखिल भारतीय विकास संस्कृति साहित्य परिषद जनपद शाखा, बलिया उत्तर प्रदेश के आनंद नगर कार्यालय पर महाराणा प्रताप सिंह की 1482वीं जयंती डॉ0 भोला प्रसाद आग्नेय की अध्यक्षता में मनाई गई। सर्वप्रथम उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ0 भोला प्रसाद आग्नेय ने उन्हें महान देशभक्त कहा। संचालन करते हुए डॉ0 फतेहचंद बेचैन ने कहा कि- “महाराणा प्रताप ने अनेकों कष्ट से जंगलों में घास की रोटी खाई परंतु मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की”। डॉ0 आदित्य कुमार अंशु ने कहा कि “महाराणा प्रताप जैसे वीर पराक्रमी विरले ही पैदा होते हैं।” डॉ0 नवचन्द्र तिवारी ने कहा कि “महाराणा प्रताप से वर्तमान पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए।” इस कार्यक्रम में रमेश मिश्र हसमुख, डॉ0 अरविंद उपाध्याय, सूरज समदर्शी, कादंबिनी सिंह, सुदेश्वर अनाम, गोवर्धन भोजपुरी, डॉ0 संतोष गुप्ता, जितेंद्र त्यागी आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता डॉ0 भोला प्रसाद आग्नेय ने तथा संचालन एवं सबके प्रति आभार डॉ0 फतेह चंद बेचैन ने किया।

