-चरम पर मंहगाई की मार
-बाजार की हालत ऐसी की टमाटर के सिर चढ़ बोलने लगी हरी मिर्च
-महीनों से है बाजार की यही स्थिति, शासन-प्रशासन का ध्यान ही नहीं
शशिकांत ओझा
बलिया : आर्थिक रूप से सुदृढ़ और संपन्न लोगों के लिए खानपान सामग्री की कीमतक् बढ़ने और घटने का कोई असर नहीं पड़ता किंतु गरीब और दीनहीन लोगों की दशा उसी दिन से बिगड़ने लगती है जिस दिन से खाद्य पदार्थों का दाम बढ़ता है।
सब्जी में टमाटर और दाल की कीमत ने तो गरीब जनों का लगभग एक महीने से कमर तोड़ ही रखी है अब हरी मिर्च भी टमाटर के सिर चढ़कर बोल रही है। बाजार में हरी मिर्च की कीमत डेढ़ सौ रुपया प्रति किलोग्राम से अधिक है। स्थानीय बाजारों में गत दिनों हरी मिर्च ₹160 प्रति किलोग्राम की दर से बेची गई। ऐसे में सब्जी बाजार करने के नाम पर झोला लेकर स्थानीय बाजार पहुंचे गरीबों की दशा यह है कि वह सोच भी नहीं पा रहे हैं की सब्जी में क्या खरीदें और क्या नहीं। हालांकि दाम तो लगभग सभी सब्जियों के चढ़े हुए ही हैं लेकिन टमाटर और हरी मिर्च ने गरीब जनों की कमर तोड़ती नजर आ रही है। अरहर की दाल भी काफी दिनों से रही सही कसर निकाल रही है। गरीबों की थाली से तरकारी व दाल की तो काफी दिनों से दूरी है। देखना है कब तक शासन प्रशासन का ध्यान गरीब जनों की तरफ जाता है और खाद्य पदार्थों के दामों में गिरावट दर्ज होती है।