-श्रद्धांजलि अर्पित करने परिवहन मंत्री सहित दर्जनों वीआईपी सदस्य
शशिकांत ओझा
बलिया : श्री वनखण्डीनाथ (श्री नागेश्वरनाथ महादेव) मठ के यशस्वी संस्थाध्यक्ष संत स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी जी महाराज “मौनी बाबा” को सोमवार के दिन डूहा बिहरा में समाधि दी गई। स्वामी जी के अंतिम दर्शन को वीआईपी सहित आम जनमानस का तांता लगा रहा। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह सहित दर्जनों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
सोमवार की सुबह स्वामी जी के आश्रम अद्वैत शिव शक्ति परमधाम डूहा में उनके पार्थिव शरीर की समाधि दी गई। हजारों की संख्या में पहुंचे भक्तों ने दर्शन कर उन्हें नाम आंखों से अंतिम विदाई दी। इस दौरान सुरक्षा के दृष्टिकोण से चप्पे चप्पे पर पुलिस बल तैनात रहा। इस दौरान श्रद्धांजलि देने वालों में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, पूर्व सांसद रविंद्र कुशवाहा, पूर्व मंत्री राजधारी सिंह, पूर्व विधायक भगवान पाठक सहित हजारों की संख्या में राजनेता वह अन्य लोग शामिल हुए।
राजसूय महायज्ञ के मुख्य आयोजक स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी जी महाराज के निधन की सूचना मिलते ही हजारों की संख्या में भक्त मौनी बाबा के आश्रम की तरफ चल पड़े। बाबा के निधन की सूचना पर पर भक्त रो रहे थे। जो जहां था वहीं से मठ की ओर चल पड़ा। आयोजकों ने बताया कि स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी मौनी बाबा का इलाज लखनऊ के एक निजी अस्पताल में चल रहा था। अब महराज जी ब्रह्मलीन हो गए है। उनका पार्थिव शरीर सोमवार की सुबह उनके आश्रम अद्वैत शिव शक्ति परम धाम डूहां में पहुंचा। अंतिम दर्शन के लिए महाराज जी का पार्थिव शरीर सुबह से ही उनके आश्रम पर रख दिया गया। दर्शन के लिए हजारों की संख्या में उनके भक्त पहुंच रहे थे। उनके पार्थिव शरीर को समाधि देने का सभी कार्य उड़िया बाबा द्वारा किया गया। त्रेता और द्वापर युग के बाद कलियुग में बाबा के द्वारा 40 दिवसीय राजसूय महायज्ञ का अनुष्ठान 11 दिसंबर से चल रहा था। यज्ञ की शुरूआत के कुछ दिन पूर्व 24 नवंबर को इनकी तबियत खराब हो गई। लखनऊ स्थित डिवाइन हॉस्पिटल में एक हफ्ते के इलाज के बाद स्वस्थ होकर आश्रम लौट गए। 11 दिसम्बर को कलश यात्रा के बाद एक बार फिर तबियत खराब हो गई। दो दिनों तक इलाज के बाद उन्हें लखनऊ ले जाया गया। 14 दिसंबर से 5 जनवरी तक डिवाइन हॉस्पिटल इलाज चला। इस बीच इनकी तबियत काफी खराब होने पर मेडलैंड हॉस्पिटल शिफ्ट कर दिया गया। जहां इलाज के दौरान 10 जनवरी को सुबह 6:03 मिनट पर बाबा ब्रह्मलीन हो गए। लेकिन यज्ञ को देखते हुए उनके निधन की सूचना को गुप्त रखा गया। इस बीच 14 जनवरी को सोशल मीडिया पर मौनी बाबा के निधन की सूचना तैरने लगी। जिसकी पुष्टि यज्ञ की पूणाहुति के दिन हुई।