-परिवार नियोजन के लिए
-छोटा परिवार सुखी परिवार की अवधारणा को अंगीकार करने का प्रयास
शशिकांत ओझा
बलिया : जनपद के चिकित्सा विभाग ने एक अप्रैल से 31 दिसंबर तक जनपद में परिवार नियोजन के स्थाई समाधान नसबंदी अपनाने वालों की संख्या जारी किया है। विभाग के मुताबिक नौ महीने में 2031 महिलाओं और 14 पुरुषों ने नसबंदी अपनाया है। नसबंदी कराने वाले पुरुषों में एक युवक अल्पसंख्यक समुदाय का भी है।
एक अप्रैल 2023 से 31 दिसम्बर 2023 तक जनपद में 2031 महिलाओं ने परिवार नियोजन के स्थाई साधन नसबंदी को अपनाया। इस अवधि में 14 पुरुषों ने भी जिम्मेदारी निभाई और नसबंदी कराया। इसके अलावा दो बच्चों के बीच में सुरक्षित तीन साल का अंतर रखने के लिए महिलाओं ने अस्थाई साधन को भी अपनाया है। 4051 महिलाएं पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी), 3333 महिलाएं इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (आईयूसीडी) अपना चुकी हैं। 4333 महिलाओं ने तिमाही गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा पर भरोसा जताया।
महिलाओं के सापेक्ष आसान है पुरुष नसबंदी
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. आनन्द कुमार ने बताया कि पुरुष नसबंदी प्रक्रिया आसान है। इसमें सामान्य सा चीरा लगता है। इसमें व्यक्ति को उसी दिन अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। यह महिला नसबंदी की अपेक्षा अधिक सुरक्षित और सरल भी होता है। इसके लिए न्यूनतम संसाधन, बुनियादी ढांचा और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता है। पुरुष नसबंदी को लेकर समाज में कई भ्रांतियाँ हैं। इस भ्रम से पुरुषों को बाहर आना होगा और एक छोटा परिवार एवं सुखी परिवार की अवधारणा को साकार करने के लिए पुरुषों को आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठाने की जरूरत है। इसके लिए आशा कार्यकर्ता लगातार समुदाय को जागरूक कर रही हैं।
सरकार देती है प्रोत्साहन राशि भी
डॉ आनंद कुमार ने यह भी बताया कि पुरुष लाभार्थी को सरकारी अस्पताल में नसबंदी कराने पर 3000 रुपये प्रोत्साहन राशि एवं महिला लाभार्थी को 2000 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप मे मिलते हैं। साथ ही पुरुष नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करने वाली आशा को 400 रुपये प्रति लाभार्थी दिया जाता है। महिला नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करने वाली आशा कार्यकर्ता को 300 रुपये प्रति लाभार्थी दिये जाते हैं।