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भगवान राम की बाल लीला का वर्णन सुन श्रोता हुए भाव-विभोर

-संगीतमय रामकथा

-कथावाचक संत प्रेम भूषण महाराज की कथा सरिता में गोता लगाते रहे भक्त

-परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह द्वारा बालखंडी नाथ मंदिर प्रांगण में आयोजन

शशिकांत ओझा

बलिया : बाबा बालखंडी नाथ मंदिर के प्रांगण में प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के संकल्प से चल रहे श्रीराम कथा के चौथे दिन प्रेम भूषण महाराज की कथा में देर शाम तक भक्ति रस बरसता रहा। कथा में भगवान श्रीराम सहित चारों भाईयों के जन्म व बाललीला का वर्णन सुन सभी भाव-विभोर हो गए। 

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कथावाचक प्रेम भूषण महाराज ने कहा कि पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य, मंगल, शनि, वृहस्पति तथा शुक्र अपने-अपने उच्च स्थानों में विराजमान थे, कर्क लग्न का उदय होते ही महाराज दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या के गर्भ से एक शिशु का जन्म हुआ जो कि नील वर्ण, चुंबकीय आकर्षण वाले, अत्यन्त तेजोमय, परम कान्तिवान तथा अत्यंत सुंदर था। उस शिशु को देखने वाले देखते रह जाते थे। इसके पश्चात् शुभ नक्षत्रों और शुभ घड़ी में महारानी कैकेयी के एक तथा तीसरी रानी सुमित्रा के दो तेजस्वी पुत्रों का जन्म हुआ। भगवान राम के जन्म लेने से अयोध्या में इतनी खुशी हुई कि लोग देवताओं का आभार व्यक्त करने के लिए घर-घर हवन करने लगे। हवन कुंडों के धुंए से अयोध्या का आकाश मंडल बादल सदृश होकर पूरे अयोध्या को ढंक दिया।

भगवान सूर्य लंबे समय से भगवान का दर्शन करने के लिए इंतजार कर रहे थे। जब धुंआ हटा तो भगवान के मनमोहक रूप को देखकर अपनी सुधि-बुद्धि खोकर एकटक भगवान राम को ही देखते रहे। उन्होंने कहा कि तब भगवान शिव भी कह रहे हैं, देखो भवानी जो भगवान पूरे ब्रह्मांड को खेलाते हैं, वे अपनी मां कौशल्या की गोद में कैसे खेल रहे हैं। इसके उपरांत उन्होंने माता कौशल्या को भगवान के विराट रूप के दर्शन की बात बातों को भी बताया। प्रवचन में भगवान के नामकरण के प्रसंग पर भी विस्तृत प्रकाश डाला। साथ ही लक्ष्मण की भाई के प्रति भक्ति का वर्णन करते हुए कहा कि बचपन से श्रीराम को अपना स्वामी मानकर लक्ष्मण उनकी सेवा करने लगे। उस प्रसंग से आज भी सभी को सीख लेनी चाहिए।

कथा के दौरान बीच-बीच में भगवान के भजन को सुनाकर प्रेम भूषण जी महाराज ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की माताजी तेतरी देवी व मंत्री के अनुज धर्मेंद्र सिंह ने व्यास पीठ का पूजन किया और पालने में विराजमान ठाकुर जी को झूला झूलाया। कथा में अनिल पांडेय, अशोक सिंह, सुरजीत सिंह, प्रणव सिंह, हर्ष सिंह आदि मौजूद रहे।

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