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महर्षि भृगु की धरती इन दिनों पूरी तरह रंग रही ‘संकल्प रंगोत्सव’ के रंग में

रंगोत्सव के रंग में
-तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाटक समारोह
-दूसरे दिन रूप-अरूप और मां मुझे टैगोर बना दे की प्रस्तुति उतर गई दर्शकों के दिल में

शशिकांत ओझा

बलिया : साहित्यिक सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था संकल्प के 20वें वर्षगांठ पर टीडी कालेज के मनोरंजन हाल में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाटक समारोह संकल्प रंगोत्सव के रंग में महर्षि भृगु की धरती पूरी तरह रंगने लगी है। कड़ाके की ठंड में उमड़ी रंग मंच प्रेमी दर्शकों की भीड़ ने यह साबित किया। संकल्प रंगोत्सव के दूसरे दिन यूनिकॉर्न एक्टर्स स्टूडियो दिल्ली द्वारा प्रस्तुत नाटक रूप-अरूप और जम्मू से आए लकी गुप्ता ने एकल नाटक मां मुझे टैगोर बना दे दर्शकों के दिल में पूरी तरह उतर गया।


नाटक समारोह के दूसरे दिन सुप्रसिद्ध रंग निर्देशक स्वर्गीय त्रिपुरारी शर्मा द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक रूप-अरूप गहन शोध व समाज को सोचने के लिए विवश करता है। रूप-अरूप मंच से उस पुरुष के विस्थापन की कहानी है जो मंच पर स्त्री रूप को जीवंत करता है। नायक इस रूप से इतना बंध गया है या यूं कहे कि मोहग्रस्त हो गया है कि इस रूप के बाहर उसे भय होता है और अब तो सवाल उसके अस्तित्व का है। जब स्त्री पहली बार मंच पर आती है तो वह डरता है कि स्त्री के द्वारा उसे विस्थापित कर दिया जायेगा। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित हैप्पी रणजीत और गौरी देवल ने कमाल का अभिनय किया ।


दूसरा नाटक मां मुझे टैगोर बना दे मोहन भंडारी द्वारा लिखित और जम्मू कश्मीर के रंग निर्देशक लकी गुप्ता द्वारा निर्देशित व अभिनीत प्रस्तुति ने दर्शकों को भावुक कर दिया। यह एकल नाटक भावुक और प्रेरक होने के साथ उस बच्चे के सपनों का प्रतीक है, जो खुद को महान बनाने के लिए मार्गदर्शन और शक्ति मांग रहा है। टैगोर बनना सिर्फ कवि बनना नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में महानता हासिल करना, ज्ञानवान बनना और समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है। लकी गुप्ता ने अकेले ही एक अंगोछे की सहायता से छात्र, शिक्षक, गांव का मुखिया आदि विभिन्न पात्रों का अभिनय करते हुए मन मोह लिया। इस एकल प्रदर्शन को देख ऐसा लगा कि सच्चे कलाकार के लिए लिए वेशभूषा, मेकअप, प्रकाश व्यवस्था, मंच सज्जा, संगीत वाद्ययंत्र आदि कोई मायने नहीं रखता है।


नाट्य प्रस्तुति से पहले वाराणसी से आए सुप्रसिद्ध लोकगीत गीत गायक दुर्गेश उपाध्याय ने अपनी लोक गायकी से सबका मन मोह लिया। उनके द्वारा प्रस्तुत बारहमासा और निमिया के डाढ़ जनि कटिह ए बाबा सुनकर लोग भावुक हो गए। वहीं एक्सप्रेशन कल्चरल सोसायटी बलिया द्वारा ट्विंकल गुप्ता के निर्देशन में प्रस्तुत झिंझिया और गोदना नृत्य पर दर्शक झूमते नजर आए। कार्यक्रम का उद्घाटन वरिष्ठ कोषाधिकारी आनन्द दूबे ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम स्थल पर लगी कलाकृतियां और पुस्तक प्रदर्शनी आकर्षण की केंद्र बनी हुई है। लोग वहां खूब फोटो खिंचा रहे हैं। कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों को अंगवस्त्रम और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। समारोह के दूसरे दिन का संचालन अचिंत्य त्रिपाठी ने किया। सबके प्रति आभार संकल्प संस्था के सचिव आशीष त्रिवेदी ने व्यक्त किया।