Advertisement
7489697916 for Ad Booking
उत्तर प्रदेश खेल देश पूर्वांचल बलिया राज्य

सनबीम बलिया में हुआ मंत्रमुग्ध कर देने वाला उड़ीसा के गोटीपुआ लोक नृत्य का प्रदर्शन

-शानदार आयोजन

-पिरामिड सहित अनूठे नृत्य शैली को दर्शकों ने अपलक देखा और जी भर सराहा

-करतल ध्वनियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा समग्र परिसर

-स्वस्थ परंपरा का मनभावन जादू ने हर किसी को किया रोमांचित 

शशिकांत ओझा

Advertisement
7489697916 for Ad Booking

बलिया : किसी भी देश की राष्ट्रीयता उसकी लोक विधा में सन्निहित होती है। आज भी हमारे देश में लोक परंपरा की यह विधा जीवंत है। विविधता में एकता के प्रतीक को दर्शाते सांस्कृतिक विधाओं को अक्षुण्ण बनाए रखने व आपाधापी के आधुनिक युग में भी अपने विद्यार्थियों को उनसे अवगत कराने के निमित्त अगरसंडा स्थित सनबीम स्कूल व स्पिक मैके के संयुक्त तत्वावधान में विद्यालय परिसर के नमन हाल में उड़ीसा राज्य की शास्त्रीय नृत्य शैली का आयोजन किया गया। इस अवसर पर दल के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा छात्रों व अभिभावकों के समक्ष गोटीपुआ लोक नृत्य की प्रस्तुति दी गई।

कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के निदेशक डॉ कुंवर अरुण सिंह, अतिथि कलाकार विजय कुमार साहू व प्रधानाचार्या डॉ. अर्पिता सिंह के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। वाद्य यंत्रों के साथ कलाकारों की भाव भंगिमाओं, चमत्कृत करने वाले पिरामिड्स संग नृत्य शैली ने ऐसा समा बांधा कि दर्शक समाप्ति तक प्रस्तुति का रसास्वादन करते रहे।

करतल ध्वनियों की गड़गड़ाहट से समग्र परिसर गूंजता रहा। कार्यक्रम की समाप्ति पर छात्रों ने जटिल नृत्य की बारीकियों को समझा व संबंधित प्रश्न भी पूछे। कलाकार अतिथि ने बताया कि गोटीपुआ लोक नृत्य भारत के उड़ीसा राज्य का पारंपरिक लोक नृत्य है। आज से लगभग 700 वर्ष पूर्व चैतन्य महाप्रभु उड़ीसा आए थे तब वहां के मंदिरों में इस नृत्य परंपरा का प्रादुर्भाव हुआ। समकालीन समय में एक लड़का ही लड़की के रूप में नृत्य के द्वारा अपने भाव को ईश्वर को समर्पित करता था। अंत में उन्होंने रहस्योद्घाटन किया कि इस कार्यक्रम में जिन लड़की कलाकारों को आप देख रहे थे।

वास्तव में वे हमारी गुरुकुल के किशोर छात्र हैं। मेरी मां ने भी मुझे 5 वर्ष की अवस्था में ईश्वर को सौंप दिया था। आज मैं विश्व के कई देशों में अपने दल के साथ इस नृत्य की प्रस्तुति दे चुका हूं। ऐतिहासिक जनश्रुति है कि धार्मिक कहानियों में वैष्णववाद (जगन्नाथ के रूप में विष्णु) को आध्यात्मिक विचारों में व्यक्त किया गया। शिव व सूर्य देवता को भी अभिव्यक्ति के माध्यम से दर्शाया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि जनपद के सोवई बांध निवासी व कैलिफोर्निया में प्रैक्टिस कर रहे हृदय शल्य चिकित्सक डॉ विजय कुमार तिवारी थे। अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित डॉ तिवारी ने बच्चों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का समुचित जवाब देकर उन्हें संतुष्ट किया। कहा कि समाज सेवा आप विश्व के किसी भी देश में रहकर कर सकते हैं। विद्यालय के निदेशक डा कुंवर अरुण सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि नई पीढ़ी को आधुनिक ज्ञान के साथ समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी जानना चाहिए। भारत की वास्तविक आत्मा गांव में बसती है। इस लोक कला को कलाकार अपने परिश्रम, त्याग व समर्पण से इसे जीवंत बनाए हुए है। यह भाव व कर्म विश्व बंधुत्व की भावना उकेरती है। प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह ने लोक विधाओं को भारतीय समाज का प्राचीन गौरव व अभिन्न अंग बताया।

विद्यालय प्रशासन द्वारा मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रशासक एस के चतुर्वेदी, समन्वयक गण पंकज सिंह, सहरबानो, नीतू पांडेय, निधि सिंह सहित समस्त शिक्षकगण व शिक्षणेत्तर कर्मचारी मौजूद रहे। संचालन मेघना सिंह (कक्षा 10) व दीक्षा यादव (कक्षा 8) ने किया। प्रधानाचार्या ने कार्यक्रम में आए सभी अभिभावकों का आभार व्यक्त किया।

Advertisement
7489697916 for Ad Booking