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उत्तर प्रदेश देश पूर्वांचल बलिया राज्य

प्रधानमंत्री की सोच को प्रधानों की उदासीनता लगा रही पलीता

-स्वच्छ भारत अभियान

-जिले के प्रत्येक गांव में लाखों की लागत से निर्मित सामुदायिक शौचालय सिर्फ दिखावटी

-जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी भी इसको लेकर नहीं दिख रहे गंभीर

बलिया :  आर्थिक और सामाजिक रुप से कमजोर लोगों खासकर महिलाओं की प्रतिष्ठा को ध्यान में रख भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बहुत ही बेहतरीन ख्वाब देखा और उसे अमलीजामा पहनाया भी। प्रधानमंत्री के स्वपन और सोच को स्वच्छ भारत मिशन नाम दिया गया। इस योजना के तहत देश भर के प्रत्येक गांव में प्रत्येक व्यक्ति को इज्ज़त घर के नाम से शौचालय दिए गए। एक शौचालय पर सरकार का 12 हजार खर्च भी हुआ। व्यक्तिगत शौचालय के बाद प्रत्येक गांव में लाखों की लागत से सामुदायिक शौचालय निर्मित हुए पर प्रधानों की लापरवाही से यह योजना सफलीभूत नहीं दिख रही। सामुदायिक शौचालय निर्मित तो हुए हैं पर प्रयोग में नहीं हैं। यूं कहा जाए कि सामुदायिक शौचालय दिखाऊं शाह का डाल लग रहे हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। विडंबना है कि पीएम की सोच को लेकर सीएम, डीएम, सीडीओ और डीपीआरओ तक गंभीर नहीं दिख रहे हैं।

सामुदायिक शौचालय निर्माण की बात जनपद बलिया में करें तो लगभग 750 गांवों में इसका निर्माण हो चुका है। एक सामुदायिक शौचालय निर्माण में लागत ढाई से पांच लाख लगी है। बात बलिया जिले में सामुदायिक शौचालय पर कुल व्यय की करें तो तीस करोड़ रुपये लगे हैं। प्रत्येक गांव में यह शोभा अवश्य बढ़ा रहे हैं पर कहीं भी नियमित संचालित नहीं हो रहे हैं, जिसकी मुख्य वजह ग्राम प्रधान ही हैं। सरकार ने ग्राम पंचायतों को ही सामुदायिक शौचालय संचालन का जिम्मा दिया है। प्रत्येक सामुदायिक शौचालय को स्वयं सहायता ग्रुप को के जिम्मे दिया गया है और उसके संचालन पर होने वाला व्यय पंचायत को अपने ही खाते से देना है। प्रधान इस कार्य को अनावश्यक समझ इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और प्रधानमंत्री के ख्वाब को पंख लगाने की बजाय उसे डुबाने पर अमादा हैं।

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