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जनता से स्नेह, भाजपा से बागीपन और हाईफाई चुनाव लड़ने का अंजाम, मिले मात्र 595 मत

-विधानसभा चुनाव 2022
-विधानसभा क्षेत्र फेफना में भाजपा से चुनाव का टिकट मांग रहे थे अवलेश सिंह
-भाजपा ने उपेंद्र तिवारी को फिर दे दिया टिकट तो बागी बन जदयू से लड़े चुनाव
-भैया मुन्ना बहादुर सिंह सहित आधा दर्जन लोगों ने अवलेश सिंह के साथ मांगा वोट

बलिया : भारतीय जनता पार्टी से बहुतेरे लोग टिकट मांग रहे थे। एक एक को ही मिलना था। कुछ लोगों ने बागी तेवर दिखाते हुए किसी दूसरी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ गए। फेफना विधानसभा क्षेत्र में इसी तरह अवलेश सिंह रहे जिन्होंने जनता दल युनाइटेड (नितीश कुमार की पार्टी) के तीर चुनाव चिह्न से चुनाव लड़ा। चुनाव में अवलेश सिंह ने बड़े बड़े वादे किए। कहा कि जनता का स्नेह ही चुनाव लड़ने को विवश किया। 15 साल से जनता की सेवा को प्राथमिकता बताई। इलाकाई नेता भैया मुन्ना बहादुर सिंह सहित आधा दर्जन लोग जी-जा से जुटे। चुनाव परिणाम के बाद उनके सभी दावे समाप्त हो गए। बड़ा चुनाव कार्यालय, दर्जनों वाहन, आधा दर्जन का श्रम उन्हें 595 मत ही दिला पाया।

रेलवे में ठेका कराने वाले अवलेश सिंह ने भाजपा का बैनर लगा समाज में आना-जाना प्रारंभ किया। 2017 में पोस्टर होर्डिंग के बलबूते स्वयं को विधानसभा क्षेत्र का उम्मीदवार बनाने की मांग की। टिकट नहीं मिला तो चुनाव में शांत रहे। फिर अवलेश सिंह ने लोकसभा बलिया की दावेदारी किया। बैरिया से जहूराबाद तक होर्डिंग पोस्टर लगाया। पार्टी ने इस बार भी इनके होर्डिंग पोस्टर को ध्यान नहीं दिया। फिर उनके मन में जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का ख्वाब आया। बलिया जिला बैकवर्ड आने के कारण वह मिशन भी फेल हुआ तो वे फिर विधानसभा चुनाव के टिकट मांगने लगे। तैयारी भी की। अपने स्वयं के बेटे के रिसेप्शन में प्रसिद्ध भोजपुरी गायक खेसारी लाल यादव को बुला पूरे विधानसभा क्षेत्र में निमंत्रण दिया और अपनी ताकत दिखाई।

पार्टी ने फिर इस बार उपेंद्र तिवारी को उम्मीदवार बना दिया तो वे बागी हो गए। लखनऊ में पार्टियों की तलाश की। मामला नहीं बना तो बिहार की पार्टी जनता दल युनाइटेड का सिंबल लाए। पूरे दमखम से चुनाव भी लड़ा परंतु परिणाम के बाद उनके जनता में लोकप्रियता, काम और जनसेवा का परिणाम आ गया। पूरे फेफना विधानसभा क्षेत्र में उन्हें मात्र 595 मत ही मिले। अवलेश सिंह जनता द्वारा क्यों पूरी तरह खारिज किए गए उसकी समीक्षा स्वयं कर रहे हैं। समीक्षा में शामिल होने में चुनाव वाले सहयोगी कतरा रहे हैं।