

बलिया जनपद के पाँच हजार वर्ष पुराने पौराणिक ददरी मेला के लिए स्थायी भूमि अधिग्रहण तथा मेला और थाने का नाम मीना बाजार समाप्त कर ददरी मेला रखने की मांग ध्रुवजी सिंह स्मृति सेवा संस्थान के सचिव भानु प्रकाश सिंह बबलु ने किया है।


कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि पूरे देश में भारतीय संस्कृति, सांस्कृतिक परम्परा के पुनरोद्धार में भारतसरकार और उत्तरप्रदेश सरकार जी जान से जुटी है। लेकिन भृगुक्षेत्र बलिया की पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक परम्परा को बचाने व बढ़ाने के लिये किसी भी स्तर पर कोई पहल अथवा प्रयास नहीं हो रहा है।


कहा कि हम लोगों जैसे सामान्य नागरिकगण जितनी मेहनत करके इस समस्या के स्थाई समाधान कराने के लिए कोशिश कर रहे हैं, उसे स्थानीय प्रशासन/जनप्रतिनिधि पीछे ढकेल दे रहे है। भानु प्रकाश सिंह ने बताया कि पूर्व में राज्यपाल व मुख्यमंत्री जी को प्रेषित पत्रों पर उनके कार्यालयों द्वारा जिलाधिकारी बलिया को प्रेषित पत्रों पर जिलाधिकारी बलिया द्वारा पत्र द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत कराया गया था कि तहसीलदार सदर द्वारा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरु करने का निर्देश दिया गया है। प्रक्रिया शुरु भी हुई थी लेकिन एक वर्ष बाद भी जिला प्रशासन, नगर पालिका व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण मामला ठंढे बस्ते में चला गया। सिंह ने कहा कि अटल जी ने अपने इक्यावन कविताओं में से एक कविता में अश्लीलता के परिचायक मीना बाजार का उल्लेख करते हुए लिखा था कि ‘अकबर के पुत्रों से पूछो क्या याद उन्हें है मीना बाजार’ ऐसे अश्लील शब्द मीना बाजार का पौराणिक व सांस्कृतिक व संत समागम वाले ददरी मेले से जुड़ना हम बलियावासियो के लिये अपमानजनक है।कहाकि अश्लिलता के प्रतीक मीना बाजार का नाम शीघ्र बदले जिला प्रशासन।

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