-जनता का दर्द
फेफना से बलिया जाने में दो बार साधन बदलना मजबूरी
-वाहन संघों की मनमानी और प्रशासन की लापरवाही बनी वजह
-पब्लिक के इस दर्द की तरफ जनप्रतिनिधियों का ध्यान ही नहीं
बलिया: सरकार खासतौर गरीबों और आमजन की दिक्कतों की ओर ध्यान देती है। प्रशासन भी इसीलिए है की किसी को दर्द ना हो पर फेफना से बलिया जाने वाले गरीबों, मजदूरों, श्रमिकों की तरह किसी का ध्यान नहीं है। आटो किराया लोगों का 25 रुपया देना पड़ रहाहै जबकि दूरी महज 11 किमी ही है। यहां तक की पब्लिक को इसके लिए दोबार साधनभी बदलना होता है।
शहर से स्टैंड हटाने के निर्णय के बाद शहर से दूर माल्देपुर मोड़ पर कर दिया गया। कोविड के बाद वाहन स्वामियों ने कम पैसेंजर बैठाने के नाम पर किराया बढ़ा दिया। आज आलम है कि बैठाने तो पूरे पैसेंजर लगे पर किराया वही। अब चित्तू पांडेय चौराहे से माल्देपुर मोड़ तक ई-रिक्शा 10रुपया और माल्देपुर से फेफना तक आटो 15 रुपया। एक पैसेंजर को कुल 25 रुपया देना पड़ रहा है। जनप्रतिनिधि और प्रशासन मौन है जबकि वाहन स्वामी मौज में हैं।

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