
-अंजली तोमर ने कही यह बात
-प्राथमिक विद्यालय-अलावलपुर बलिया में हैं सहायक अध्यापक

अनियंत्रित मन हमें जीवन में नकारात्मकता की ओर ले जाता है और नियंत्रित मन हमें नकारात्मकता से बचाता है। आत्मा जागरूक मन को नियंत्रित करने का सबसे अच्छा तरीका है। मन को नियंत्रित करना एक दिन का काम नहीं है इसके लिए नियमित और व्यवस्थित साधना की आवश्यकता होती है।


जब यह नियमित हो जाता है तो अंदर से महसूस होता है जैसे परमात्मा की प्राप्ति हो गई। आपका शरीर एक हथियार है और इसे और मजबूत बनाने का विचार करना चाहिए। मन पर नियंत्रण कर कोई कार्य करना आसान हो जाता है। केवल यह जानना बेकार है यह मैं नहीं कर सकता बल्कि यह जानना कि हम यह कर सकते हैं। यह सोचकर हम शांत बैठ गए कि हम यह नहीं कर सकते हैं तो मनुष्य का जीवन पाना बेकार है। असफल होने पर कभी मन को विचलित नहीं करना चाहिए। चिंता ना करो गिर पड़े हो तो उठो फिर आगे बढ़ो सवेरे से नहीं तो देर से पहुंच जाओगे आखिर पहुँचोगे जरूर। लेकिन अगर तुम चल ना सके तो यह सफर कभी समाप्त नहीं होगा। बात करने से नहीं आचरण करने से, कठिन परिश्रम करने से सब कुछ हो जाता है। कुछ पाने के लिए विनम्र और सहजता का होना जरूरी है। यह गुण इंसान को श्रेष्ठ से सर्वश्रेष्ठ बनाता है जिंदगी में सिर्फ शिक्षा काफी नहीं है। हमें बच्चे को व्यवहारिक ज्ञान सीखाना चाहिए और ऐसा सिखाने का एक ही तरीका है कि हम भी अपने माता-पिता के साथ ऐसा व्यवहार करें इससे बच्चे को हमें ऐसा करते देख खुद ब खुद सीख जाए।