
-बाढ़ की तबाही
-गायघाट गंगा मीटर गेज पर पर खतरा बिंदु है 57.615 मीटर
-वर्ष 2016 में उच्चतम जल स्तर रिकॉर्ड हुआ था 60.390 मीटर
-सोमवार सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर रिकॉर्ड हुआ 59.610 मीटर
-उच्चतम जलस्तर मात्र 0.780 मीटर है बढ़ावा पर चल रहा गंगा का पानी
शशिकांत ओझा
बलिया : सनातन काल से जीवनदायिनी कहीं जाने वाली गंगा नदी इन दिनों महर्षि भृगु की धरती पर तबाही का मंजर बनती जा रही है। गाय घाट में दर्ज खतरा बिंदु मापक मीटर पर भी गंगा उच्चतम शिखर की ओर जाने की दिशा में आतुर दिख रही है। संभावना है कि गंगा वर्ष 2016 के उच्चतम रिकॉर्ड को छोड़ देगी। यह रिकॉर्ड 60.390 मीटर का है जिसके बहुत करीब गंगा पहुंच गई है।
बाढ़ नियंत्रण कक्ष की जानकारी के मुताबिक गायघाट में गंगा नदी के खतरा का बिंदु 57.651 मीटर अंकित है। अंकित रिकॉर्ड के मुताबिक गंगा का उच्चतम बिंदु वर्ष 2016 में 60.390 मीटर अंकित हुआ तब भीषण तबाही हुई थी। वर्तमान में गंगा नदी अभी बढाव की ओर ही अग्रसर है तथा वर्ष 2016 के रिकार्ड के काफी नजदीक पहुंच गई है। सोमवार सुबह आठ बजे गंगा नदी का जलस्तर 59.610 मीटर अंकित हुआ। वर्तमान जलस्तर उच्चतम जलस्तर के 0.780 मीटर ही नीचे है। गंगा नदी का जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो संभावना है एक से दो दिन में वर्ष 2016 का उच्चतम जलस्तर वाला रिकॉर्ड टूट जाएगा। वर्तमान में गंगा के जलस्तर में वृद्धि के पीछे राजस्थान के धौलपुर चम्बल नदी डैम से 16 लाख क्यूसेक व माताटीला डैम से तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ने को कारण माना जा रहा है। गंगा के जलस्तर में तेजी से बढ़ाव को देखते हुए तटवर्ती लोगों के हाथ पांव फूलने लगा है वहीं प्रशासन के भी माथे पर चिंता की लकीरें खींच गयी है। अधिकारी बाढ़ क्षेत्र मे जमे हुए हैं और लगातार चक्रमण करते हुए बाढ़ पर पैनी निगाह जमाएं हैं।
द्वाबा का यह इलाका सर्वाधिक है प्रभावित
गंगा नदी में बाढ़ से क्षेत्र के दर्जनों गांव व दियारा क्षेत्र जलमग्न हो चुका है। खरीफ की फसल भी डूब चुकी है। टेंगरही, पांडेयपुर, मिश्र गिरी के मठिया, मुरलीछपरा, चिंतामणि राय के टोला, गुदरी सिंह के टोला, प्रसाद छपरा सहित दर्जनों गांवों का दियारा गंगा के बाढ़ के पानी से जलमग्न हो गया है और फसलें डूब गईं हैं।