-जयंती समारोह
-आचार्य परशुराम चतुर्वेदी जयंती समारोह में उनकी कृतियों पर खूब किया चर्चा
बलिया। दी सिविल बार एसोसिएशन व आचार्य परशुराम चतुर्वेदी स्मारक एवं समारोह समिति के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को सिविल कोर्ट के सेंट्रल सभागार में आचार्य परशुराम चतुर्वेदी जयंती समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने अपने अपने संस्मरण को सुनाकर आचार्य चतुर्वेदी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
जयंती समारोह का शुभारंभ आचार्य परशुराम चतुर्वेदी के तैल चित्र के समक्ष जिला जज जितेंद्र कुमार पांडेय, बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के सह अध्यक्ष जयनारायण पांडेय एवं बार के अध्यक्ष डॉ निर्भय नारायण सिंह व अंजनी कुमार पांडेय तथा नगरपालिका अध्यक्ष अजय कुमार व आचार्य परशुराम चतुर्वेदी के पौत्र आसित चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से पुष्पार्चन कर किया। इस मौके पर अतिथियों का क्रमवार स्वागत करने के साथ ही वक्ताओं ने आचार्य चतुर्वेदी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष जयनारायण पांडेय ने कहा कि बलिया से बहुत अधिक लगाव रहता है। इसी जिले का मूल निवासी होने के चलते जब भी अपने गांव आता हूँ। यहां के अधिवक्ताओं की पीड़ा व समस्या जरूर सुनता हूं। मैंने आचार्य चतुर्वेदी के बारे बहुत कुछ पढा और सुना है। फिर भी इस जयंती समारोह में इस महान व्यक्तित्व के बारे में आज बहुत अधिक सुनने को मिला। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं के लिए चेंबर की आवश्यकता है इसके लिए सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मैंने बात की है। उन्होंने कहा है कि जिला जज के माध्यम से अगर प्रस्ताव आता है तो बलिया के अधिवक्ताओं के बैठने के लिए अधिवक्ता चेंबर जरूर उपलब्ध कराया जाएगा। अधिवक्ता बंधुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य परशुराम चतुर्वेदी भले ही उस समय वकालत करते थे। लेकिन उनकी आत्मा लोगों को न्याय दिलाने में उपस्थित थी। उन्होंने अपने साहित्य से जुड़े जीवन को कभी अलग नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि नए अधिवक्ताओं को वकालत के शुरू के दिनों में तमाम दिक्कतें उठानी पड़ती है। बहुत सारे अधिवक्ता इस पेशे से अलग भी हो जाते हैं। कहा कि जब भी मैं कहीं जूनियर अधिवक्ता की बात उठती है तो चाहता हूं कि वरिष्ठ अधिवक्ता उनका सही मार्गदर्शन व सपोर्ट करें। जिससे कि उन्हें वकालत से छोड़ने के बाद कोई दूसरा काम ना करना पड़े।अधिवक्ता तथा न्यायिक अधिकारियों के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर भी जोर दिया। कहा कि न्यायिक अधिकारी कोई ऐसा कार्य न करें जिससे अधिवक्ताओं को उनके अदालत में जाकर वकालत करने में असहज महसूस करना पड़े। बार और बेंच में सामंजस्य जरूरी है। अधिवक्ता व न्यायिक अधिकारी एक दूसरे के पूरक है। दोनों न्यायालय के अधिकारी होते हैं ऐसे में हम भी अभी खा सकते हैं अधिवक्ता जो जो भी कार्य करता है वह अपने अधिकारी के न्याय हित के लिए करता है इस बात का ध्यान न्यायिक अधिकारियों को भी रखना चाहिए जय नारायण पांडे ने यह भी कहा कि कोर्ट के पीठासीन अधिकारियों नेताओं के बीच समय-समय पर समागम ही होना चाहिए जिससे कि आपस में एक दूसरे को समझने का मौका मिले अधिवक्ता व अधिकारी एक-दूसरे से खुलकर बात करें इस मौके पर जिला जज जितेंद्र कुमार पांडे ने भी अधिवक्ताओं को भरोसा दिलाया कि न्याय के लिए उनकी हर स्तर पर बातें सुनी जाएगी न्यायिक अधिकारी भी न्याय चाहते हैं ऐसे में अधिवक्ता और न्यायिक अधिकारी एक-दूसरे का सम्मान जरूर करें कभी भी कोई मामला हो तो उसे व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा ना बनाएं। इस मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता निर्मल कुमार उपाध्याय ने भी आचार्य चतुर्वेदी के साथ किए गए वकालत जानकारी साझा की। वही डॉ. शत्रुघ्न पांडेय चंद्रशेखर उपाध्याय, देवेंद्र नाथ दुबे, सुभाष चंद्र पांडेय, ओमकेश्वर उपाध्याय, अखिलेश कुमार सिंह, कमलेश कुमार वर्मा सहित क्रिमिनल व सिविल बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने अपने अपने अनुभव को साझा किया। संचालन वरिष्ठ अधिवक्ता रणजीत सिंह ने किया।