शशिकांत ओझा
बलिया : परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करने के साथ ही सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन करने के आदेश का विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने मुखर विरोध किया है।
अपना विरोध दर्ज कराते हुए एसोसिएशन के जनपदीय अध्यक्ष डॉ. घनश्याम चौबे ने बढ़ी बात कही है। अध्यक्ष ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद को प्रयोगशाला बना दिया गया। जैसा की सर्व विदित है कि प्रयोगशाला में किए गए कार्य के होने या ना होने की जिम्मेदारी नहीं होती कि प्रयोग सफल होगा या असफल।
उसी प्रकार बेसिक शिक्षा की प्रयोगशाला में भी कोई किसी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं है। इससे उन नौनिहालों पर प्रयोग का क्या असर पड़ेगा जो मानवीय संवेदना से ओत प्रोत है न कि प्रयोगशाला के जीव। शिक्षक ऑनलाइन हाजिरी का विरोध क्यों कर रहे हैं इसे जानना किसी ने मुनासिब नहीं समझा। शिक्षकों की समस्याओं पर गौर किया जाए तो सभी के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। एसी कमरों में बैठने वाले हुक्मरान यह नहीं जानना चाहते कि जो विद्यालय दुर्गम क्षेत्रों में है जहां आवागमन का कोई साधन नहीं है, पगडंडी वाला रास्ता है, जहां किसी वाहन से चल पाना संभव नहीं है या बरसात के दिन में कुछ विद्यालय जलमग्न हो जाते हैं वहां अध्यापक कैसे पूरे वर्ष समय से पहुंचेगा।
यंत्रवत संचालित व्यवस्था यथा रेल, वायुयान आदि का परिचालन भी उत्पन्न परिस्थितियों के कारण विलंब हो सकती है फिर अध्यापक तो मानव ही है। प्रोबेबिलिटी कहती है कि कुछ विशेष दिवसों में शिक्षक को देरी हो सकती है वह देरी बारिश, बाढ़, प्राकृतिक आपदा, रेलवे क्रॉसिंग बंद होने से भी हो सकती है या यातायात के संसाधनों के विलंब होने के कारण, वह देरी सोमवार को फलों की टोकरी लाद कर विद्यालय ले जाने से भी हो सकती है।
स्कूल शिक्षा महानिदेशक के आदेश से विगत एक वर्ष से लगातार निरीक्षण का कार्य चल रहा है, बमुश्किल एक प्रतिशत शिक्षक एक या दो मिनट ही देरी से आने पाए गए हैं उसके बावजूद डिजिटल हाजिरी जैसा कदम आव्यावहारिक व तुग़लकी फरमान है। इस क्रम में विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन प्रांतीय नेतृत्व के निर्देश के क्रम में फेस रीडिंग अटेंडेंस का पुरजोर विरोध करेगा।