
-शैक्षणिक आयोजन
-प्रकृति के उपहारों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु पर्यावरणविदों ने दिए सुझाव
शशिकांत ओझा
बलिया : वर्तमान परिवेश में तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में हमें दूरदर्शिता का प्रयोग कर उसे धरातल पर वास्तविकता देनी होगी। सतत विकास लक्ष्य पर प्रकाश डालना होगा। यू एन ने अब तक इसके 17 प्रकार बताए हैं।
अगरसन्डा स्थित सनबीम स्कूल में दिल्ली से पधारे पर्यावरणविद् अमित गुप्ता व रितु मल्होत्रा ने विद्यालय के नमन हाल में क्लाइमेट एजुकेशन ससटेन्बिलिटी बैनर के अंतर्गत कक्षा आठवीं से बारहवीं तक के बच्चों को कुदरत द्वारा प्रदत्त उपहारों को अगली पीढ़ी तक बचा कर रखने का बिंदुवार सुझाव दिया। जैसे कागज के दोनों ओर लिखना या उनका प्रयोग करना, जल संचयन की उत्तम विधि, वेस्ट पदार्थ का पुनः प्रयोग, कागज, लोहे या अल्युमिनियम के अवशेषों को बर्बाद न कर उन्हें कबाड़ वालों को देना ताकि वह पुनः रीसाइकलिंग होकर प्रयोग में आ सकें।
रितु मल्होत्रा ने बताया कि हम विशेष अवसरों पर सजावट हेतु गुब्बारे का प्रयोग करते हैं। इससे बचना होगा। यह पर्यावरण के लिए बेहद घातक है। क्योंकि यह प्लास्टिक उत्पाद है।
अमित गुप्ता ने बताया कि सभी के शौक अलग-अलग हैं। परंतु हमें जागरुक होकर स्वयं को प्रकृति से जोड़ना होगा एवं अतिशय दोहन रोककर उसके विकल्प तलाशने होंगे। इस दौरान अतिथियों ने बच्चों से सवाल – जवाब भी किया। जिसका बच्चों ने समुचित उत्तर दिया एवं अपनी जिज्ञासा को पूर्ण किया।
विद्यालय के निदेशक डॉ कुंवर अरुण सिंह ने कहा कि एक बार पानी का प्रयोग हो जाने के पश्चात उसे पुनः प्रयोग में ला सकते हैं। यदि हम थोड़े से विवेक का प्रयोग करें तो परिणाम बेहतर आ सकते हैं।
प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह ने कहा कि हम समाज के लोगों को प्रकृति के प्रति जागरूक करें। असंतुलित अंधाधुंध विकास के फलस्वरुप ही प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हो रही है। दूसरे सत्र में अतिथिगण संकल्प हाल में शिक्षकों से भी मुखातिब हुए। विषयवार एक्टिविटी भी कराई गई।
इस अवसर पर प्रशासक संतोष कुमार चतुर्वेदी, एकेडमिक डीन शहर बानो, कोऑर्डिनेटर पंकज सिंह, जयप्रकाश यादव, प्रशांत उपाध्याय, निधि सिंह एवं समस्त शिक्षकगण मौजूद रहे।